परिवार के लिए आहार – आयोजन की आवश्यकता बताइए।
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Explanation:
परिवार के सभी सदस्यों को संतुलित भोजन प्रदान करने के लिये गृहणी को कर्इ प्रकार के निर्णय लेने पड़ते हैं। जैसे- क्या पकाया जाये, कितनी मात्रा में पकाया जाये, कब पकाया जाये और कैसे परोसा जाये आदि। भोजन बनाने से पूर्व इन सभी प्रश्नों पर विचार करके उचित निर्णय लेना व अपने निर्णय को क्रियान्वित करना ही आहार आयोजन कहलाता है।
“भोजन निर्माण से पूर्व परिवार के सभी सदस्यों को आवश्यकतानुसार पौष्टिक, रूचिकर एवं समयानुसार भोजन की योजना बनाना ही आहार आयोजन कहलाता है।”
आहार आयोजन के सिद्धांत
प्रत्येक गृहणी चाहती है कि उसके द्वारा पकाया गया भोजन घर के सदस्यों की केवल भूख ही शांत न करें अपितु उन्हें मानसिक संतुष्टि भी प्रदान करे। इसके लिये तालिका बनाते समय कुछ सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक है, जो कि है-
पोषण सिद्धांत के अनुसार- आहार आयोजन करते समय गृहणी को पोषण के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए आहार आयोजन करना चाहिये अर्थात् आहार आयु के अनुसार, आवश्यकता के अनुसार तथा आहार में प्रत्येक भोज्य समूह के खाद्य पदार्थों का उपयोग होना चाहिये।
परिवार के अनुकूल आहार- भिन्न-भिन्न दो परिवारों के सदस्यों की रूचियाँ तथा आवश्यकता एक दूसरे से अलग-अलग होती है। अत: आहार, परिवार की आवश्यकताओं के अनुकूल होना चाहिये। जैसे उच्च रक्त चाप वाले व्यक्ति के लिये बिना नमक की दाल निकाल कर बाद में नमक डालना। भिन्न-भिन्न परिवारों में एक दिन में खाये जाने वाले आहार की संख्या भी भिन्न-भिन्न होती है। उसी के अनुसार पोषक तत्वों की पूर्ति होनी चाहिये। जैसे कहीं दो बार नाश्ता और दो बार भोजन, जबकि कुछ परिवारों में केवल भोजन ही दो बार किया जाता है।
आहार में नवीनता लाना- एक प्रकार के भोजन से व्यक्ति का मन ऊब जाता है। चाहे वह कितना ही पौष्टिक आहार क्यों न हो। इसलिये गृहणी भिन्न-भिन्न तरीकों, भिन्न-भिन्न रंगों, सुगंध तथा बनावट का प्रयोग करके भोजन में प्रतिदिन नवीनता लाने की कोशिश करना चाहिये।