paragraph writing in hindi khaday padartho me milawat
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हमारे दैनिक प्रयोग में आने वाली वस्तुओं का आजकल शुद्ध रूप में मिलना दूभर हो गया है। बाजार में कुछ भी वस्तु हम खरीदने जायें, खूब जाँच पड़ताल कर, उसे खरीदें लेकिन फिर भी विश्वास नहीं होता कि खरीदी गई वस्तु शुद्ध ही होगी। मिलावट की समस्या इस कदर व्यापक बन गई है कि वस्तु की शुद्धता के विषय में हम लोगों के मन में अविश्वास और सन्देह की जड़ बहुत अन्दर तक जम गई है। और ठीक भी है शुद्ध रूप में कोई वस्तु प्राप्त कर लेना बहुत कठिन हो गया है। यह ऐसा छूत का रोग है कि शहरी क्षेत्र से बढ़ता हुआ हमारे ग्रामीण क्षेत्रों तक में भी फैल गया है और अपनी जड़ें फैला रहा है। यद्यपि शहरों में मिलावट का रोग अधिक व्यापक और गहराई से व्याप्त है तथापि हमारे ग्रामीण अंचल इससे बचे हुए नहीं हैं। शिक्षित अशिक्षित, शहरी-ग्रामीण सभी अपनी उत्पादित वस्तुओं में अपने ढंग से मिलावट करते हैं।
घी, दूध, मसाले, आटा, अनाज, दवाइयाँ तथा अन्य बहुत-सी वस्तुएं बाजार से किसी भाग्यशाली को ही शुद्ध रूप से मिल पाती होंगी। घी के नाम पर वनस्पति मक्खन की जगह ‘मार्गरीन’, आटे में सेलखड़ी का पाउडर, पिसी हुई हल्दी में पीली मिट्टी, काली मिर्च में पपीते के बीज, कटी हुई सुपारी में कटे हुए छुहारे की गुठलियाँ, मिलाकर सरलता से बेची जा रही हैं। दूध में अरारोट या सपरेटा का पाउडर, पानी खूब मिलाया जा रहा है। मावे में उबले हुये आलू, शकरकन्द, या सपरेटा का खोवा, बहुत चल रहा है। बीड़ी सिगरेटों में रखी जाने वाली शीरा, खूब चलता है। अनाज
घी, दूध, मसाले, आटा, अनाज, दवाइयाँ तथा अन्य बहुत-सी वस्तुएं बाजार से किसी भाग्यशाली को ही शुद्ध रूप से मिल पाती होंगी। घी के नाम पर वनस्पति मक्खन की जगह ‘मार्गरीन’, आटे में सेलखड़ी का पाउडर, पिसी हुई हल्दी में पीली मिट्टी, काली मिर्च में पपीते के बीज, कटी हुई सुपारी में कटे हुए छुहारे की गुठलियाँ, मिलाकर सरलता से बेची जा रही हैं। दूध में अरारोट या सपरेटा का पाउडर, पानी खूब मिलाया जा रहा है। मावे में उबले हुये आलू, शकरकन्द, या सपरेटा का खोवा, बहुत चल रहा है। बीड़ी सिगरेटों में रखी जाने वाली शीरा, खूब चलता है। अनाज
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