परशुराम ने धनुष तोड़ने वाले के विषय में पूछा तो श्रीराम ने""धनुष मेरे द्वारा टूट गया है"" सीधा उत्तर न देकर ऐसा क्यों कहा कि ""धनुष तोड़ने वाला आपका कोई दास होगा"" ?
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जब परशुराम ने धनुष तोड़ने वाले के विषय में पूछा तो श्री राम ने धनुष तोड़ने वाला आपका कोई दास होगा ऐसा इसलिए कहा क्योंकि श्री राम परशुराम के क्रोध से परिचित थे। परशुराम एक अत्यंत क्रोधी ब्राह्मण थे। वह अपने क्रोध के लिये विश्वविख्यात थे। जबकि श्री राम विनम्रता और सहनशीलता से परिपूर्ण थे। वे जानते थे कि विनम्रता से ही क्रोध को शांत किया जा सकता है।
शिव जी के धनुष को श्रीराम द्वार तोड़ने पर परशुराम क्रोधित होकर जब जनक के राज दरबार में आए और धनुष तोड़ने के विषय में पूछने लगे तो श्रीराम उनके क्रोध को समझ गए और अपनी विनम्रता से उनके क्रोध को शांत करने हेतु उन्होंने इस तरह उत्तर दिया।
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श्रीराम ने सृष्टि के क्योंकि वे परशुराम जी के क्रोध से परिचित थे परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रति किए हुए इस प्रकार हुई परशुराम के क्रोध पर राम के विनय शील और मृदुल स्वभाव का पता चलता है परशुराम का क्रोध शांत करने के लिए वे स्वयं को उस गताज बताते हैं अपने योग्य सेवा पूछते हैं वह लक्ष्मण को भी शांत रहने का संकेत देते हैं वह धैर्य वन है और लक्ष्मण परशुराम की बात सुनकर क्रोध में आ जाते हैं तथा रंग भरी बातें करते हैं ||
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