परत-पर परत जमने वाली चीज से लेखक 'हरिशंकर परसाई क्या कहना चाहता है?
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परत-पर परत जमने वाली चीज से लेखक 'हरिशंकर परसाई क्या कहना चाहता है?
परत-पर परत जमने वाली चीज से लेखक 'हरिशंकर परसाई चाहते है कि तुम किसी सख्त चीज़ को ठोकर मारते रहे हो। कोई चीज़ जो परत-पर-परत सदियों से जम गई है, उसे शायद तुमने ठोकर मार-मारकर अपना जूता फाड़ लिया। कोई टीला जो रास्ते पर खड़ा हो गया था, उस पर तुमने अपना जूता आज़माया।
वह यह कहना चाहते थे कि यदि तुम्हारे जीवन में कोई कठिनाइयां आती है तो तुम्हें उनके साथ समझौता कर लेना चाहिए , ऐसे ठोकर मारकर अपने जूतों को नहीं फाड़ना चाहिए | तुम स्थिति बचकर , उसके बगल से भी तो निकल सकते हो | तुम्हें मुसीबतों बिना हल किए छोड़ कर , बगल से निकल जाना चाहिए |
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