Pardushit jal me kon si ashudiya payi jati?in hindi.
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जल को प्रदूषित करने वाले पदार्थों की प्रकृति मुख्यतः दो प्रकार की होती है-
1. जैविक रूप से नष्ट हो जाने वाले
2. जैविक रूप से नष्ट न होने वाले
मुख्यतः सभी कार्बनिक पदार्थयुक्त प्रदूषक जैविक रूप से नष्ट होने वाले होते हैं। ये प्रदूषक जल में उपस्थित सूक्ष्म जीवों के द्वारा नष्ट कर दिए जाते हैं। वास्तव में कार्बनिक पदार्थ सूक्ष्म जीवों का भोजन होते हैं। सूक्ष्म जीवों की इन गतिविधियों में बड़ी मात्रा में जल में घुलित ऑक्सीजन का उपयोग होता है। यही कारण है कि जब कार्बनिक पदार्थयुक्त प्रदूषक जैसे मल-जल या आसवन उद्योग का दूषित जल, जलस्रोतों में मिलता है तो उनकी घुलित ऑक्सीजन की मात्रा में उल्लेखनीय कमी आती है, कई बार ऐसा होने पर यहाँ उपस्थित जलीय जीव जैसे मछलियाँ आदि ऑक्सीजन की कमी के कारण मारे जाते हैं।
इसके विपरीत अनेक प्रदूषक होते हैं, जो सामान्य परिस्थितियों में नष्ट नहीं होते, ऐसे प्रदूषकों में विभिन्न धात्विक प्रदूषक या अकार्बनिक लवणयुक्त प्रदूषक होते हैं।
कुछ प्रमुख प्रदूषक निम्नलिखित हैं :-
1. मल-जल या अन्य ऑक्सीजन अवशोषक प्रदूषक जैसे कार्बनिक अपशिष्ट।
2. संक्रामक प्रकृति के प्रदूषक जैसे अस्पतालों से निकलने वाला अपशिष्ट।
3. कृषि-कार्य हेतु उपयोग में लिये जाने वाले उर्वरक, जिनके पानी में मिलने से जलीय पौधों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होती है। तत्पश्चात ये जलीय वनस्पति पानी में सड़कर पानी में घुलित ऑक्सीजन का उपयोग कर उसे धीरे-धीरे कम या समाप्त कर देती है। इस प्रकार वनस्पतियों के सड़ने से पानी से दुर्गन्ध आने लगती है।
4. औद्योगिक दूषित जल के साथ विभिन्न रसायन, लवण या धातुयुक्त दूषित जल, जलस्रोतों में मिलता है।
5. कृषि कार्य में उपयोग होने वाले रासायनिक कीटनाशक आदि भी वर्षाजल साथ घुलकर जब स्रोतों में आकर मिलते हैं। ये जटिल कार्बनिक यौगिक प्रकृति में कैंसर कारक (कार्सिनोजेनिक) होते हैं।
6. अनेक विकिरण पदार्थ भी जल के साथ बहकर प्राकृतिक जलस्रोतों में मिलते हैं।
7. अनेक उद्योगों जैसे आसवन उद्योग, पावर प्लांट आदि से निकलने वाले दूषित जल का तापमान अत्यंत उच्च होता है। उच्च तापमान युक्त दूषित जल किसी भी जलस्रोत में मिलकर उसका तापमान भी बढ़ा देते हैं। जिसका सीधा प्रभाव जलीय जीवों एवं वनस्पतियों पर पड़ता है।
8. घरेलू ठोस अपशिष्ट भी जल प्रदूषण का बड़ा कारण बनते हैं।
जल प्रदूषक कारकों को इनकी भौतिक अवस्था के आधार पर भी तीन श्रेणियों में बाँटा जा सकता है |