'parishram safalta ka mul mantra' vishay par adhyapika aur chatra ke beech sanvad likhiye।
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परिश्रम उस प्रयत्न को कहा जाता है जो किसी व्यक्ति द्वारा अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। परिश्रम ही मानव की उन्नति का एकमात्र साधन है। परिश्रम के द्वारा हम वे सभी वस्तुएं प्राप्त कर सकते हैं जिनकी हमें आवश्यकता है। इसके द्वारा कठिन से कठिन कार्य को भी संभव बनाया जा सकता है। एक प्राचीन कहावत है की जो मनुष्य अपने पुरुषार्थ पर यकीन रखकर अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मन, वचन और कर्म से कठिन परिश्रम करता है, सफलता उसके कदम चूमती है। परिश्रम के द्वारा मनुष्य के सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं।
जो लोग मन लगाकर परिश्रम नहीं करते उनका जीवन सदैव दुःख तथा कष्ट से भरा रहता है। परिश्रम से हम धर्म, अर्थ, काम और यहाँ तक की मोक्ष भी प्राप्त कर सकते हैं। संसार इस बात का साक्षी है की जिस भी राष्ट्र ने आज तक तरक्की की है, उसकी उन्नति का एकमात्र रहस्य उस देश के निवासियों का परिश्रमी होना है। अमेरिका का उदाहरण हम सभी के सामने है। अमेरिका का अधिकांश भाग बंजर है परन्तु कठिन परिश्रम तथा साहस के बल पर अमेरिका आज विश्व के शिखर पर विराजमान है। यह देश स्वयं तो आत्मनिर्भर है ही तथा दुसरे देशों की भी सहायता करता है। दूसरा उदाहरण है सिंगापुर का। सिंगापूर एक छोटा सा देश है परन्तु आज इसकी गिनती विश्व के कुछ सबसे समृद्ध तथा खुशहार देशों में होती है। इन सभी देशों के निवासियों का परिश्रम ही इनकी सफलता का कारण है।
परिश्रम चाहे शारीरिक हो या मानसिक, दोनों ही फल प्रदान करने वाले होते हैं। जिस प्रकार रस्सी की रगड़ से कुएं के मजबूत पत्थर पर भी निशान पड़ जाते हैं, उसी प्रकार कठिन परिश्रम द्वारा कठिन से कठिन कार्य भी सरल हो जाते हैं। विश्व में अनेक ऐसे महापुरुष हुए हैं जिन्होंने अपने परिश्रम से ही काम्याभी हासिल की। महात्मा गांधी, सुभाष चन्द्र बोस, तिलक जैसे क्रांतिकारियों के परिश्रम से ही भारत स्वतंत्र हुआ अतः परिश्रम ही सफलता की कुंजी है।
यह संसार अनंत सुख-संपत्ति, धन-धान्य से भरा हुआ है किन्तु इसका भोग वाही कर सकता है जिसमें परिश्रम करने की लगन हो। परिश्रम के सामने तो प्रकृति भी झुक जाती है। परिश्रम ही ईश्वर की सच्ची साधना है। इसलिए महाकवि तुलसीदास ने ठीक ही कहा है की –
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