paryavaran suraksha par nibandh.... NO SPAM AND NO COPIED ANSWER I NEEDED ONLY WRITTEN BY YOU ANSWER I NEEDED....
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हम अगर हमारे चारों और देखे तो ईश्वर की बनाई इस अद्भुत पर्यावरण की सुंदरता देख कर मन प्रफुल्लित हो जाता है पर्यावरण की गोद में सुंदर फूल, लताये, हरे-भरे वृक्षों, प्यारे – प्यारे चहचहाते पक्षी है, जो आकर्षण का केंद्र बिंदु है आज मानव ने अपनी जिज्ञासा और नई नई खोज की अभिलाषा में पर्यावरण के सहज कार्यो में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है जिसके कारन हमारा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है हम हमारे दोस्तों परिवारों का तो बहुत ख्याल रखते हैं परंतु जब पर्यावरण की बात आती है तो बस गांधी जयंती, या फिर स्वच्छ भारत अभियान, के समय ही पर्यावरण का ख्याल आता है लेकिन यदि हम हमारे पर्यावरण का और पृथ्वी के बारे में सोचेंगे इस प्रदूषण से बच सकते हैं।विश्व पर्यावरण संरक्षण अधिनियम संयुक्त राष्ट्र में पर्यावरण के लिए मनाया जाता है और यह एक उत्सव की तरह होता है। इस दिन पर्यावरण के संरक्षण के लिए जगह-जगह वृक्षारोपण किया जाता है हमारे देश में अक्सर ऐसा होता है कि कोई भी बड़ा कार्य होता है तो हम उम्मीद करते हैं कि वह सरकार करेगी जैसे पर्यावरण संरक्षण दुर्भाग्य से कुछ लोग मानते हैं कि केवल सरकार और बड़ी कंपनियों को ही पर्यावरण संरक्षण के लिए कुछ करना चाहिए परंतु ऐसा नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति अगर अपनी अपनी जिम्मेदारी समझे तो सभी प्रकार की कचरा ,गंदगी और बढ़ती आबादी के लिए स्वयं उपाय करके पर्यावरण संरक्षण में अपनी भागीदारी दे सकता है, लेकिन प्रगति के नाम पर पर्यावरण को मानव ने ही विकृत करने का प्रयास किया है, पर्यावरण व्यापक शब्द है जिसका सामान्य अर्थ प्रकृति द्वारा प्रदान किया गया समस्त भौतिक और सामाजिक वातावरण इसके अंतर्गत जल, वायु, पेड़, पौधे, पर्वत, प्राकृतिक संपदा सभी पर्यावरण सरक्षण के उपाए में आते है। ‘ गो ग्रीन(Go Green) ‘ कहने के लिए नहीं बल्कि करने में ज्यादा आसान होता है, आज पर्यावरण का ध्यान रखना हर व्यक्ति का कर्तव्य और जिम्मेदारी है।
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Hey buddy❤️
Here u go
प्राणी अपने जीवन हेतु वनस्पति जगत पर आश्रित हैं। मनुष्य हवा म उपास्थि ऑक्सीजन को श्राव्स द्वारा ग्रहण करके जीवित रहता है। पेड़ पौधे ही प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में ऑक्सीजन छोड़ते है इस तरह मनुष्य के जीवन का आधार पेड़ पौधे ही उसे प्रदान करते है। इसके अतिरिक्त प्राणियों का आहार वनसपति है। वनस्पति ही प्राणियों को पोषण प्रदान करती है। इसलिए पर्यावरण संरक्षण बहुत ज़रूरी है ।
पिछले दिनों कल कारखानों की वृद्धि को विकास का आधार मना जाता रहा है। खाद्य उत्पादन के लिए कृषि और सिचाई पर जोर दिया जाता रहा है, परंतु वन संपदा की महत्ता समझने की ओर जितना ध्यान देना आवश्यक था, उतना दिया ही नहीं गया। वनों को जमीन घेरने वाला मन जाता रहा और उन्हें काटकर कृषि करने की बात सोची जाती रही है। जलाऊ लकड़ी और इमारती लकड़ी की आवश्यकता के लिए भी वृक्षो को अंधाधुन्द कटा काटा जाता रहा है। और उनके स्थान पर नए वृक्ष लगाने की उपेक्षा बढ़ती जा रही है। इसलिए आज हम वन संपंदा की दृष्टि से निर्धन होते जा रहे है । इसलिए आज हम इन संफंदा की दृष्टि से निर्धन होते चले जा रहे है ।
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