पतंग महोत्सव के लिए 100 से 120 शब्दों में अनुच्छेद pls jaldi
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प्रस्तावना:
हमारे देश में कई लोग त्योहारों पर तो कई लोग ख़ुशी के लिए पतंग उड़ाते हैं | पतंग उड़ाने की कलां यह प्राचीन कलां हैं | यह कलां प्राचीन काल से चली आ रही हैं |
देश के हर कोने – कोने में बच्चे और जवान पतंगबाजी करते हैं | हमारे देश में ज्यादा पतंग बसंत ऋतू में उड़ाए जाता हैं |
इस दिन बहुत सारी पतंग उड़ती है जिसके कारण आसमान पूरा पतंगों से भरा हुआ दिखता हैं | भारत के लोग स्वतंत्रता दिवस पर भी पतंग उड़ाते हैं | सबसे ज्यादा बच्चों के द्वारा पतंग उडाए जाते हैं |
पतंग उड़ाने की प्रथम शुरुवात
ऐसा माना जाता है की, पतंग उड़ाने की प्रथम शुरुवात चीन में हुई थी | चीनी लोगों के द्वारा सबसे पहली पतंग बनाई गयी थी |
पतंग पर कविता
पतंग हवा में उड़ाने वाली एक वास्तु हैं जो धागे के सहारे उड़ती हैं | पतंग यह भारत में इस्तनी प्रसिद्ध हैं की, इन पतंगों पर कई कवियों ने कविताए भी लिखी हैं |
त्योहारों पर पतंग उड़ाना
कई सारे लोग पतंगों को रक्षा बंधन, मकर संक्रांति के अवसर पर उड़ाते हैं | इस दिन पतंग उड़ाना शुभ माना जाता हैं | मकर संक्राति के त्यौहार पर पतंग उड़ाना यह एक सबसे पुराना रिवाज हैं | पतंग हर एक रंगों में देखने के लिए मिलते हैं |
पतंग आज़ादी की ख़ुशी में उडाए जाते हैं | मकर सक्रांति के दिवस पतंग उड़ाना बहुत शुभ माना जाता हैं | इस उसका बहुत ज्यादा महत्व रहता हैं | हमारे देश में आंतर राष्ट्रीय पतंग महोत्सव मनाया जाता हैं |
पतंग कार्य
पतंग यह एक पंख हैं | कच्चे धागे से आसमान में उड़ाया जाता हैं | पतंग को दो समान भाग होते हैं | यह दोनों भाग एक समान होते हैं |
पतंग यह हवा में उड़ाया जाता हैं लेकिन जैसी हवा आती हैं उस तरह से पतंग आसमान को उड़ाया जाता हैं | पतंग आसमान में काफी दूर तक उडाता हैं |
ख़ुशी की भावना
बच्चे जब आसमान में पतंग उड़ाते हैं, तब उनको बहुत ख़ुशी होती हैं | और जैसे ही पतंग निचे आने लगता हैं, तो बच्चे रोने लगते हैं | क्योंकि पतंग उड़ाने पर बहुत ख़ुशी हो जाती हैं और गिरती हुई पतंग दुःख देती हैं |
आसमान में उड़ती हुई पतंग हमें स्वतंत्रता का एहसास दिलाती हैं | जिस तरह से वो आसमान में उडती पतंग स्वतंत्रता का प्रतिक मानी जाती हैं | लेकिन वो एक कच्चे धागे से बंधी हुई होती हैं | पतंग धागे में बंधने के कारण वो आसमान में ऊंचाई तक उड़ती हैं |
निष्कर्ष:
पतंग उड़ाना यह भी एक कला हैं | अगर पतंग की डोर कच्ची होती हैं, तो जमीं पर आके तुरंत गिर जाती हैं | उसी तरह से मनुष्य के जीवन का डोर भरोसे और उम्मीद के सहारे पर चलता हैं |
अगर भरोसा टूट जाता हैं तो उसकी हालत पतंग की तह हो जाती हैं | इसलिए पतंग यह एक जीवन जीने की कला सिखाता हैं |
Answer:
जिस तरह हर चीज के पीछे कोई ना कोई इतिहास जुड़ा होता है उसी तरह पतंगों को लेकर भी एक इतिहास है. कहा जाता है कि करीब 2,800 साल पहले पतंग उड़ाने की शुरुआत चीन देश ने शुरू की थी. चीन में पतंग का आविष्कार मोजी और लू बैन नाम के दो व्यक्तियों ने किया था. उस वक्त पतंग का इस्तेमाल बचाव अभियान के लिए एक संदेश के रूप में, हवा की तीव्रता और संचार के लिए किया जाता था. लेकिन 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व जिन उद्देश्यों से पतंग का आविष्कार किया गया था, वो उद्देश्य इस वक्त बदल से गए हैं और अब पतंग को केवल मनोरजन के रुप में इस्तेमाल किया जाता है.
Explanation:
भारत देश में हर साल कई तरह के त्योहार मनाए जाते हैं और इन्हीं त्योहारों में से एक त्योहार है, पतंगों का त्योहार. जी हां, पतंगों के त्योहार को काफी उत्साह से पूरे भारत में मनाया जाता है. इस दिन काफी अलग-अलग किस्म की पतंगे आसमान में देखने को मिलती है. इतना ही नहीं भारत में प्रत्येक वर्ष अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव को मनाया जाता है.
नए साल की शुरुआत होते ही हमारे त्योहार मनाने का भी आगाज हो जाता है. जनवरी के महीने में 13 तारीख को जहां उत्तर भारत में लोहड़ी मनाने में लग जाते है. वहीं उसके अगले दिन यानी 14 तारीख को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है. मकर संक्रांति के दिन ही भारत में पतंग उड़ाने का रिवाज है. इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और बाद में खिचड़ी का सेवन करते हैं. खिचड़ी खाने के अलावा लोग कई तरह के दान भी किया करते हैं. इस दिन दान करना काफी अच्छा माना जाता है. दान करने के बाद लोग पतंग उड़ाकर इस दिन का जश्न मनाते हैं. इतना ही नहीं इस दिन तिल और गुड़ को भी खाने का रिवाज है. गुड के गुण फायदे के भी अपने फायदे होते है.
गुजरात राज्य हर साल उत्तरायण या मकर संक्रांति के दिन अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव का बड़े स्तर पर आयोजन करता है. इस आयोजन में हिस्सा लेने के लिए भारत के दूसरे राज्यों सहित कई देशों के लोग आते हैं. इतना ही नहीं इस दिन पतंग बाजी का भी मुकाबला रखा जाता है. जिसमें लोग बढ़ चढकर हिस्सा लेते हैं. इस त्योहार को मनाने के लिए हर साल लाखों की संख्या में लोग गुजरात राज्य जाते हैं. वहीं गुजरात राज्य में इस दिन को लेकर खासा कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है और कई दिन पहले ही राज्य में कई तरह के कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं. यहां की दुकानों में आपको कई तरह की पतंगे देखने को मिलती हैं. इस महोत्सव के दिन आसमान पूरी तरह से रंगीन हो जाता है.