Hindi, asked by aaditik2319, 3 months ago

पत्रलेखन का प्रारूप बताकर पत्रलेखन के प्रमुख अंगों की जानकारी दें | छात्रों को विषय देकर प्रारूप के अनुसार कक्षा में चर्चा करें तथा पत्रलेखन करवाएँ |​

Answers

Answered by hunnymalik200524
1

Explanation:

CLS 6

7

8

9

10

11

12

MCQ QUESTIONS

WORKSHEETS

UNSEEN PASSAGES

CBSE NOTES

ENGLISH GRAMMAR

NCERT BOOKS

10TH SAMPLE PAPERS 2021

Skip to main content

Skip to primary sidebar

Skip to footer

MENU

CBSE Tuts

CBSE Maths notes, CBSE physics notes, CBSE chemistry notes

Patra lekhan in Hindi – पत्र-लेखन (Letter-Writing) – Hindi Grammar

Contents [show]

Patra Lekhan in Hindi | पत्र लेखन की परिभाषा एवं उनके और उदाहरण (हिन्दी व्याकरण)

आम लोगों की यह धारणा है कि पत्र लिखने में किसी तरह का कोई प्रयास नहीं करना पड़ता है, लेकिन वास्तव में पत्र लेखन भी एक कला है। यही वह माध्यम है, जिसके द्वारा व्यक्ति अपने स्वजन-परिजनों के बीच अपने हृदयगत भावों की अभिव्यक्ति करके संतोष प्राप्त करता है। यही वह साधन है, जिसके माध्यम से दूसरों के दिलों पर विजय प्राप्त की जा सकती है। अतः पत्र लिखना एक ऐसी कला है, जिसके लिए बुद्धि और ज्ञान की परिपक्वता, विचारों की विशालता, विषय का ज्ञान, अभिव्यक्ति की शक्ति और भाषा पर नियंत्रण की आवश्यकता है।

पत्र लेखन की परिभाषा और उदाहरण (Patra Lekhan in Hindi) | Letter Writing in Hindi Examples

हमें एक ऐसी व्यावहारिक व्याकरण की पुस्तक की आवश्यकता महसूस हुई जो विद्यार्थियों को हिंदी भाषा का शुद्ध लिखना, पढ़ना, बोलना एवं व्यवहार करना सिखा सके। ‘हिंदी व्याकरण‘ हमने व्याकरण के सिद्धांतों, नियमों व उपनियमों को व्याख्या के माध्यम से अधिकाधिक स्पष्ट, सरल तथा सुबोधक बनाने का प्रयास किया है।

पत्र लेखन की परिभाषा

इसके बिना हमारे पत्र अत्यंत साधारण होंगे। वे किसी को प्रभावित भी नहीं कर पाएँगे और हमारी अल्प-बुद्धि का प्रतीक भी बन जाएंगे। पत्र केवल हमारे कुशल समाचारों के आदान-प्रदान का ही माध्यम नहीं हैं, बल्कि उनके द्वारा आज के वैज्ञानिक युग में संपूर्ण कार्य-व्यापार चलता है। व्यावसायिक क्षेत्र में भी आज पत्रों का महत्त्व बहुत बढ़ता जा रहा है। पत्र-व्यवहार, व्यवसाय का एक अनिवार्य अंग बन गया है, इसलिए पत्र-लेखन में अत्यंत सावधानी रखनी चाहिए। पत्र लिखने तथा उसके आकार-प्रकार की पूरी जानकारी आज के संदर्भ में अत्यंत आवश्यक है।

पत्र लेखन की विशेषताएँ

सरलता-पत्र की भाषा सरल, सीधी, स्वाभाविक तथा स्पष्ट होनी चाहिए। इसमें कठिन शब्द या साहित्यिक भाषा का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। उलझी हुई, अस्पष्ट तथा जटिल भाषा के प्रयोग से पत्र नीरस और प्रभावहीन बन जाता है।

स्पष्टता-सरल भाषा-शैली, शब्दों का चयन, वाक्य-रचना की सरलता पत्र को प्रभावशाली बनाती है। पत्र में स्पष्टता लाने के लिए अप्रचलित शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

संक्षिप्तता-आज मनुष्य अधिक व्यस्त रहता है, वह पत्र पढ़ने में अधिक समय देना नहीं चाहता, विशेषकर व्यावसायिक-पत्र में। पत्रों में अनावश्यक विस्तार नहीं होना चाहिए।

आकर्षकता-व्यावसायिक-पत्र सुंदर तथा आकर्षक होने चाहिए। लिखते समय स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

मौलिकता-मौलिकता पत्र की विशेषता होती है, पत्र में घिसे-पिटे वाक्यों के प्रयोग से बचना चाहिए। पत्र-लेखक को पत्र में स्वयं के विषय में कम तथा प्राप्तकर्ता के विषय में अधिक लिखना चाहिए।

पत्र का प्रारूप

1. संबोधन-पत्र प्राप्तकर्ता का पता बाईं ओर लिखा जाता है, अपने संबंध के अनुसार संबोधन शब्द लिखा जाता है:

(क) अपने से बड़े पुरुषों के लिए:

पूज्य, पूजनीय, आदरणीय, माननीय, श्रद्धेय, श्री।

(ख) बड़ी स्त्री के लिए:

पूजनीया, पूज्या, आदरणीया, माननीया।

(ग) विवाहित स्त्री के लिए:

श्रीमती, सौभाग्यवती।

(घ) अविवाहित स्त्री के लिए:

सुश्री।

(ङ) अपने से छोटे के लिए:

प्रिय, प्रियवर, चिरंजीव।

(च) मित्रों के लिए:

प्रिय, प्रियवर, प्यारे, स्नेहिल, मित्रवर।

(छ) सखी के लिए:

प्रिय, प्यारी, स्नेही।

(ज) पुरुष अधिकारी के लिए:

मान्यवर, श्रीमान, महानुभाव, महोदय, आदरणीय, परमादरणीय।

(झ) स्त्री अधिकारी के लिए:

माननीया, आदरणीया, महोदया।

(ञ) व्यापार संबंधी:

श्रीमान जी, प्रिय महोदय, महोदय, महोदया, प्रिय महोदया।

2. अभिवादन-संबोधन के बाद पत्र प्राप्तकर्ता के संबंधानुसार अभिवादन किया जाता है:

(क) बड़ों को-प्रणाम, सादर प्रणाम, चरण-स्पर्श, सादर नमस्कार, नमस्ते।

(ख) छोटों को-आशीर्वाद, शुभाशीष, चिरायु हो, चिरंजीवी हो, खुश रहो, प्रसन्न रहो।

3. पत्र का विषय-वस्तु निरूपण-विषय, पत्र का प्राण है। आकर्षक तथा प्रभावशाली ढंग से आवश्यकतानुसार अनुच्छेदों में विभाजित पत्र ही लेखक के मूल उद्देश्य को सुगमतापूर्वक पूरा कर सकता है।

4. हस्ताक्षर-पत्र के अंत में लिखने वाला अपने हस्ताक्षर करता है। हस्ताक्षर न टाइप किया जाए, न ही रबर की मोहर से होना चाहिए, हस्ताक्षर अपने हाथ से और स्याही में ही होना चाहिए। हस्ताक्षर के नीचे अपने पद का उल्लेख | (केवल व्यावसायिक और कार्यालयीय पत्रों में) करना चाहिए।

Answered by Anonymous
2

Answer:

Happy Friendship Day!!

Attachments:
Similar questions