Patra on Sunder Patrika
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Explanation:
पत्र-पत्रिकाएं कहो या समाचार पत्र दोनों ही एक ही बात है। यह हमारे रोज की दिनचर्या के लिए एक महत्वपूर्ण आवश्यकता बन गई है प्रातः काल से हर किसी को पत्र पत्रिकाओं/समाचार का इंतजार रहता है या यूं कहें कि उनकी दिनचर्या ही पत्र-पत्रिकाओं से शुरू होती है हमारे आस-पास व देश-विदेश की घटनाओं की जानकारी हमें पत्र-पत्रिकाओं से ही प्राप्त होती है हमें हर तरह की जानकारी इस्से मिलती है जैसे कि शिक्षा,मनोरंजन ,साहित्य ,आदि की प्रमुख खबर पत्र – पत्रिकाओं में प्रकाशित होती है ये हमारे जोवन का एक महत्वपूर्ण अंग सा बन गया है ।
पत्रिका क्या है, पत्र-पत्रिका का अर्थ: पत्र पत्रकारिता शब्द अंग्रेजी के “जर्नलिज्म-Journalism ” शब्द का हिंदी रूपांतरण है। ‘जर्नलिज्म, शब्द “जर्नल-Journal”से निर्मित है और इसका अर्थ “दैनिकी” , ” रोजनामचा “अर्थात जिसमे दैनिक कार्यो का विवरण हो ।आज जनरल शब्द “मैगज़ीन” “समाचार पत्र “यानी पत्रकारिता का अर्थ समाचार पत्र, पत्रिका से जुड़ा व्यवसाय ,समाचार संकलन ,लेखन, संपादन, प्रस्तुतिकरण ,विवरण ,आदि पत्र पत्रिकाओं के अर्थ में आता है।
पत्र पत्रिका की परिभाषा: बहुत से विद्वानों ने पत्र – पत्रिकाओं की कई परिभाषा दी है उनमें से
कुछ इस प्रकार है। जिसे हम दो भागों में बाटेंगे।
(1) पाश्चात्य परिभाषा
(2) भारतीय चिंतन परिभाषा
पाश्चात्य परिभाषा– “जनसंचार का माध्यम दुनिया का नक्शा बदल सकता है.”
भारतीय चिंतन परिभाषा– “पत्रकारिता पत्र पत्रिकाओं के लिए समाचार लेख आदि एकत्रित करने, संपादित करने,प्रकाशन, ओर आदेश देने का कार्य करता है ”
पत्र पत्रिका का सामान्य परिचय और पत्रिका का इतिहास।
सबसे पहले पत्र पत्रिका वॉइसराय हिक्की द्वारा “बंगाल गजट “नाम से बंगाल में शुरू किया गया था लेकिन यह केवल अंग्रेजों के उपयोग साधन मात्र था. इसलिए हिंदी पत्र पत्रिकाएं सन 1826 में “उदन्त मार्तंड” नाम से प्रकाशित हुआ था परंतु इसे साप्ताहिक अखबार होने की बजह से इसे भी बंद कर दिया गया था फिर हमारे देश के लोगों ने अंग्रेजों के विरुद्ध जाकर कई पत्र पत्रिकाओं का संपादन किया जैसे बांग्ला दूत,केशरी,वंदे मातरम, आदि। पत्र-पत्रिकाओं का भारत में इतिहास लगभग 200 वर्ष का है। सुबह होते ही हमें अखबार की आवश्यकता होती है पत्र पत्रिकाएं रेडियो, टेलीविजन ,इंटरनेट, सोशल मीडिया ,व्यक्ति से लेकर समूह तक ओर देश से लेकर सारे विश्व को एकसूत्र में बांध दिया है।
पत्र पत्रिकाओं के लिए योग्यता और उसके उत्तरदायित्व
पत्रकारों को अपने कार्य में दोहरी भूमिका निभानी पड़ती है उसे पत्र पत्रिकाओं का संकलन भी करना पड़ता है और उसेे लिखना भी पड़ता है पत्र-पत्रिकाएं का कार्य ,और उसकी प्रस्तुतीकरण यह सब गुप्तचर तरीके से होता है एक अच्छे पत्रकार में मनोवैज्ञानिक और एक वकील जैसे गुण होने चाहिए।