Hindi, asked by Danny21oct, 9 months ago

पढ़ाई में तेज़ होने पर भी कक्षा में दो बार फेल हो जाने पर टोपी के साथ घर पर या विद्याल में जो व्यवहार हुआ उस पर मानवीय - मूल्यों की दृष्टि से टिप्पणी कीजिए ।
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Answers

Answered by rashmimarkam90
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Explanation:

जितनी अनिच्छा से हम सलाह को स्वीकार करते हैं, उतनी अनिच्छा से किसी अन्य को नहीं। सलाह देने वालों के बारे में हम सोचते हैं कि वह हमारी समझ को अपमान की दृष्टि से देख रहा है अथवा हमें बच्चा या बुद्ध मानकर व्यवहार कर रहा है। हम उसे एक अव्यक्त सेंसर मानते हैं और ऐसे अवसरों पर हमारी भलाई के लिए जो उत्साह दिखाया जाता है, उसे हम एक पूर्व धारणा या धृष्टता मानते हैं। इसकी सच्चाई यह है कि जो सलाह देने का बहाना करता है; वह इसी कारण से हमारे ऊपर अपनी श्रेष्ठता स्थापित करता है। इसके अतिरिक्त कोई और कारण नहीं हो सकता। किन्तु अपने से हमारी । तुलना करते हुए, वह हमारे आचरण अथवा समझदारी में कोई दोष देखता है। इन कारणों से, सलाह को स्वीकार्य बनाने से कठिन कोई कला नहीं हैं और वास्तव में प्राचीन और आधुनिक दोनों युग के लेखकों ने इस कला में जितनी दक्षता प्राप्त की है, उसी आधार पर स्वयं को एक-दूसरे से अधिक विशिष्ट प्रमाणित किया है। इस कटु पक्ष को रोचक बनाने के कितने उपाय काम में लाए गए हैं ? कुछ सर्वोत्तम शब्दों में अपनी शिक्षा हम तक पहुँचाते हैं, कुछ अत्यंत सुसंगत ढंग से, कुछ वाकचातुर्य से और अन्य छोटे मुहावरों में। पर मैं सोचता हूँ कि सलाह देने के विभिन्न उपायों में जो सबको अधिक प्रसन्नता देता है, वह गल्प है, वह चाहे किसी भी रूप में आए। यदि हम इस रूप में शिक्षा देने अथवा सलाह देने की बात सोचते हैं तो वह अन्य सबसे बेहतर है। क्योंकि सबसे कम झटका लगता है।

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Answered by madhuvanidaram
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Answer:

टोपी पढ़ाई में बहुत तेज था। बहुत से ऐसे कारण जिनके कारण वह कक्षा में फेल हो गया। यदि देखा जाए, तो इसमें टोपी की भी कोई गलती नहीं थी। मगर घर तथा विद्यालय में उसके साथ तीन बार फेल हो जाने पर बुरा व्यवहार किया जाने लगा। यह उचित नहीं था। मास्टरों द्वारा उसे अनदेखा किया जाने लगा। यदि वह किसी प्रश्न का उत्तर देना चाहता तो मास्टर जी उसे यही कहते कि तुम्हें इसी कक्षा में तीन साल हो गए हैं। इन्हें नई कक्षा में जाना है। अत: तुमसे बाद में पूछ लेंगा। यह बहुत अपमानजनक थी। मास्टर जी को उसे पूरा सहयोग देना चाहिए। यह जानने का प्रयास करना चाहिए था कि ऐसा क्या हुआ, जो बुद्धिमान बालक कमजोर हो गया। मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया। उसके साथ के बच्चों ने उसका अपमान किया। उस पर हँसते थे। इससे उसका दिल दुखता था। यह उचित नहीं था। घरवाले भी ऐसे ही थे। उन्होंने भी उसका साथ देने के स्थान पर उसका मजाक उड़ाया। यह कहँ का न्याय है। हमारे जीवन मूल्य हमें साथ देना और प्यार करना सिखाते हैं। ऐसे बच्चों को तो हमें बहुत प्यार और साथ देने की आवश्यकता है।

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