Hindi, asked by kiruthigaa2083, 1 year ago

ped ki atmakatha hindi essay 150 words

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Answered by priya9923441
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पेड़ की आत्मकथा।
 मैं एक पेड़  हु।  आज के करीब चालीस साल पहले , ठीक इसी जगह मेरा जन्म हुआ था। रिया के मुह से गिरे हुए दाने से मेरे जीवन का शुरुवात हुआ था।    अभी भी वह पल याद है , जब मैंने पहली  बार , सूरज की किरणों को महसूस किया।  क्या अमूल्य पल था वो।  बचपन में मेरा आकर तो बहुत ही छोटा था , यही कही एक - दो फुट का था मैं।  
बचपन में मुझे बहुत कठिनिया भी झेलनी परती थी , छोटे कद का होने के कारन जानवर मुझे हमेशा तंग करते थे, कितने बार तो मेरी जान जाते - जाते बची। खैर, उन दिनों की बात रहे , धीरे - धीरे साल दो साल के अंदर मैं बढ़ा हुआ।  मेरी कद थोड़ी लम्बी हुयी , चलो  शुक्र है , अब मुझे हमेशा जानवरो का डर नही लगा रहता था। अभी दुनिया को नया ही देख रहा थे मैं , नयी नयी चीज़े देखा , नए लोगो को जाना आदि।
Answered by franktheruler
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पेड़ की आत्मकथा विषय पर निबंध निम्न प्रकार से लिखा गया है

मै एक पेड़ हूं, अब मै बूढ़ा हो चुका हूं इसलिए कोई मेरी ओर देखता तक नहीं । कई वर्षों तक मै हरा भरा था, मै फलों व फूलों से लधा हुआ रहता था। मै लंबा चौड़ा व हट्टा कट्टा। था। अब बहुत कमजोर हो चुका हूं।

लगभग पंद्रह वर्ष पहले मै एक छोटा सा पौधा था । कोई आर्मी का रिटायर्ड मेजर था जो मुझे खरीदकर लाया था व उसने मुझे अपने बगीचे लगाया था। उसे बागवानी का बहुत शौक था। वहां अन्य कई प्रकार के पौधे थे। कई प्रकार के रंग बिरंगे फूलों के पौधे थे। कई बड़े बड़े पेड़ थे। मेजर साहब स्वयं पूरे बाग की रखवाली करते थे व पेड़ों , पौधों को नियमित रूप से पानी देते थे।

मेजर साहब मुझे भी समय पर खाद पानी देते थे। सारे पौधे अच्छी तरह से बढ़ रहे थे। मैं भी बड़ा होता जा रहा था। मुझे पौधे से पेड़ बनने में कई वर्ष लग गए।

एक दिन बहुत जोर का तूफ़ान आया , बगीचे के सारे छोटे छोटे पौधे तो हवा से नष्ट हो गए, कई बड़े बड़े पेड़ भी टूट गए। मै किसी तरह बच गया, आंधी का प्रभाव मुझ पर भी हुआ परन्तु मेरी जड़े जमीन से जुड़ी रही जिससे मै बच गया।

मेरी तरह कुछ पेड़ ही बच पाए थे, सारी बगिया उजड़ गई, मेजर साहब को बहुत दुख हुआ। वे टूट से गए। वे अब बीमार भी रहने लगे थे, एक दिन वे दिल का दौरा पड़ने से परलोक सिधार गए ।

उनका घर बिक गया व इस उजड़ी हुई बगिया की स्थिति और दयनीय हो गई। जो नए लोग घर में आए है, उन्हें बागवानी में कोई रुचि नहीं। देखभाल के अभाव में हम बचे खुचे पेड़ भी सूखने लगे।

अब मै अपने जीवन के आखिरी पड़ाव पर हूं। अपने दिन गिन रहा हूं। वक्त बिताने के लिए आते जाते लोगो से बात करता रहता हूं।

आपने मेरी कहानी सुनी , इसके लिए धन्यवाद।

#SPJ2

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