Hindi, asked by trehanindu, 1 year ago

Peene ka Pani naa aane hetu

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Answered by sai150
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आदमी को बनाने वाले पंचतत्‍वों में जल भी शामि‍ल है। लेकि‍न वि‍चि‍त्रता यह है कि जल से इंसान के रि‍श्‍ते बड़े ही नाजुक हैं। हम जानते हैं हर पानी पीने लायक नहीं होता तो हम जल को पेयजल बनापि‍छले 30 दि‍नों से पहले तो बुखार, फि‍र बुखार से नि‍जात पानी के लि‍ये खाई गई दवाईयों के साईड इफेक्‍ट स्‍वरूप पेट की खराबी की समस्‍या से गुजरना पड़ा ! कि‍सी भी बीमारी की मूल समस्‍या हमारा रहनसहन और खानपान यानि‍ क्‍या खाते और क्‍या पीते हैं ! महंगाई की वजह से खाना तो नि‍यंत्रण में है पर पानी ?  क्‍या करें पानी आज भी बहुत कम कीमत पर मि‍ल जाता है। लेकि‍न साफ, स्‍वच्‍छ पानी जरूरी नहीं कि‍ पीने लायक भी हो। तो हम में से कई लोग बाजार में मौजूद कई वाटर प्यूरीफायर कम्पनियों द्वारा किये जा रहे 100प्रतिशत शुद्ध पानी देने वाले वाटर प्यूरीफायर के आकर्षक विज्ञापनों के प्रभाव में आ जाते हैं जो यह दावा करती हैं कि वही सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराती हैं। लेकि‍न क्या आपने कभी सोचा कि पानी को शुद्ध करने के लिए आपके वाटर प्यूरीफायर में कौन सी प्रक्रिया प्रयोग में लाई जा रही है, किन रसायनों का प्रयोग किया जा रहा है और आखिरकार जो पानी हम पीते हैं वो वास्तव में सुरक्षित है भी या नहीं।

अभी तक पानी को कीटाणुमुक्त करने के लिए, अधिकतर वाटर प्यूरीफायर्स में क्लोरीन नामक रसायन को एक किफायती, प्रभावी और स्वीकार्य कीटाणुनाशक के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। मगर विचारणीय क्लोरीन का उपयोग नहीं बल्कि क्लोरीन के उप-उत्पाद हैं, जिन्हें क्लोरीनेटेड हाइड्रोकार्बन्स या ट्राईहैलोमीथेन के नाम से भी जाना जाता है। स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार इनमें से कई म्यूटेजेनिक और या कार्सिनोजेनिक हैं। कुछ वाटर प्यूरीफायर टीसीसीए जनरेटेड क्लोरीन का इस्तेमाल करते हैं। यह क्लोरीन लम्बे समय तक पेयजल को कीटाणुमुक्त करने वाले प्राथमिक कीटाणुनाशक की तरह प्रयोग में लाये जाने हेतु इन्वार्यरमेन्टल प्रोटेक्शन एजेन्सी (ईपीए) द्वारा मान्य नहीं है। इस रसायन का इस्तेमाल अधिकतर स्वीमिंग पूल्स और जकूजी के पानी को कीटाणुमुक्त करने के लिए किया जाता है।

ने के लि‍ये कई उपाय अपनाते हैं। 
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