ph का पूरा नाम लिखकर दैनिक जीवन में महत्व बताइऐ कारण बताइऐ की मुंह का ph 5.5 से कम होने पर दांत ख़राब होना क्यों शुरू हो जाते है
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pH का पूरा नाम ‘पावर ऑफ हाइड्रोजन’ है। जैसा की नाम से ही पता चलता है की हाइड्रोजन की क्षमता। इसकी अवधारणा सबसे पहले 1909 में सामने आयी जब कार्ल्सबर्ग लेबोरेट्री के रसायनशास्त्री सॉरेन पेडर लॉरिट्ज़ सॉरेनसेन ने इसकी खोज की थी। सायनशास्त्री सॉरेन पेडर लॉरिट्ज़ सॉरेनसेन का जन्म डेनमार्क के हावरेबर्ग शहर में 9 जनवरी 1868 को हुआ था।
किसी भी वस्तु में हाइड्रोजन के अणु उसकी अम्लीय या क्षारीय प्रवृत्ति को दर्शाते हैं। मान लीजिये की अगर घोल या उत्पाद में पी.एच. का मान 1 या 2 है तो वो अम्लीय प्रकार का होगा और अगर पीएच 13 या 14 है तो वो क्षारीय प्रकार का होगा।
हाइड्रोजन आयन के गतिविधि गुणांक को प्रयोगात्मक रूप से मापा नहीं जा सकता इसलिए सैद्धांतिक रूप से इसकी गणना की जाती है।
पीएच किसी विलयन की अम्लता या क्षारकता का एक माप है यानी किसी सोल्यूशन में कितना एसिड है और कितना बेस, ये जानने के लिए पीएच स्केल (pH scale) काम में लिया जाता है।
रक्त की तरह एक विशेष सोल्यूशन में हाइड्रोजन आयनों की राशि को पीएच कहा जाता है। विलयन में जितने कम हाइड्रोजन आयन होंगे उस विलयन की pH वैल्यू (pH value) उतनी ज़्यादा होगी।