Hindi, asked by godu25, 1 year ago

plastic le दुष्प्रभाव के बारे में दो।दोस्तों के बीच संवाद लेखन इं हिंदी​

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Answered by Anonymous
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Answer:

पूजा: नमस्ते प्रिय, आप कैसी हैं?

प्रिया: मैं ठीक हूँ और तुम?

पूजा: मैं भी ठीक हूं। लेकिन आप इतने चिंतित क्यों दिखते हैं?

प्रिया: आप सही हैं मैं पर्यावरण प्रदूषण के बारे में कुछ हद तक चिंतित हूं।

पूजा: ओह, हां! हमारे पर्यावरण एक महान खतरे में है। इसे गंभीर रूप से प्रदूषित किया जा रहा है

प्रिया: आप बिल्कुल सही हैं पर्यावरण प्रदूषण की समस्या मनुष्य और जानवरों के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है।

पूजा: बिल्कुल! लेकिन आप इसके प्रभाव के बारे में क्या सोच रहे हैं?

प्रिया: पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव गंभीर है यह पारिस्थितिक असंतुलन को जन्म देती है और प्राकृतिक आपदाएं लाती है।

पूजा: बिल्कुल! इसके अलावा, विश्व के तापमान में वृद्धि पर्यावरण प्रदूषण का नतीजा है। इसके बारे में आपका विचार क्या है?

प्रिया: मैं आपके साथ सहमत हूं। इसके अलावा, मुझे लगता है कि तापमान बढ़ने के कारण पौधों और जानवरों की विलुप्त होने की संभावना है।

पूजा: बिल्कुल! इसके अलावा, बर्फ पिघल रहा है और पर्यावरण प्रदूषण की वजह से समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है।

प्रिया: हां, बिल्कुल। इसके अलावा, पर्यावरण प्रदूषण के कारण, हम विभिन्न प्रकार के रोगों से पीड़ित हैं।

पूजा: आप सही हैं लेकिन पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

प्रिया: पर्यावरण के प्रदूषण को रोकने के लिए जीवन के सभी क्षेत्रों के लोग आगे आना चाहिए उन्हें इसके हानिकारक प्रभाव से अवगत कराया जाना चाहिए

पूजा: आप सही हैं! धन्यवाद।

प्रिया: आपका सबसे स्वागत है बाद में मिलते हैं

Answered by aakanksharajhans
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Answer:

भारत में प्लास्टिक का प्रवेश लगभग 60 के दशक में हुआ. आज स्थिति यह हो गई है कि 60 साल में यह पहाड़ के शक्ल में बदल गया है. दो से तीन साल पहले भारत में अकेले आटोमोबाइल क्षेत्र में इसका उपयोग पांच हजार टन वार्षिक था संभावना यह जताई गयी भी कि इसी तरफ उपयोग बढ़ता रहा तो जल्द ही यह 22 हजार टन तक पहुंच जाएगा. भारत में जिन इकाईयों के पास यह दोबारा रिसाइकिल के लिए जाता है वहां प्रतिदिन 1,000 टन प्लास्टिक कचरा जमा होता है. जिसका 75 फीसदी भाग कम मूल्य की चप्पलों के निर्माण में खपता है. 1991 में भारत में इसका उत्पादन नौ लाख टन था. आर्थिक उदारीकरण की वजह से प्लास्टिक को अधिक बढ़ावा मिल रहा है. 2014 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार समुद्र में प्लास्टि कचरे के रुप में 5,000 अरब टुकड़े तैर रहे हैं. अधिक वक्त बीतने के बाद यह टुकड़े माइक्रो प्लास्टिक में तब्दील हो गए हैं. जीव विज्ञानियों के अनुसार समुद्र तल पर तैरने वाला यह भाग कुल प्लास्टिक का सिर्फ एक फीसदी है. जबकि 99 फीसदी समुद्री जीवों के पेट में है या फिर समुद्र तल में छुपा है।

एक अनुमान के मुताबिक 2050 तक समुद्र में मछलियों से अधिक प्लास्टिक होगी. पिछले साल अफ्रीकी देश केन्या ने भी प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है. इस प्रतिबंध के बाद वह दुनिया के 40 देशों के उन समूह में शामिल हो गया है जहां प्लास्टिक पर पूर्ण रुप से प्रतिबंध है. यहीं नहीं केन्या ने इसके लिए कठोर दंड का भी प्राविधान किया है. प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल या इसके उपयोग को बढ़ावा देने पर चार साल की कैद और 40 हजार डालर का जुर्माना भी हो सकता है. जिन देशों में प्लास्टिक पूर्ण प्रतिबंध है उसमें फ्रांस, चीन, इटली और रवांडा जैसे मुल्क शामिल हैं. लेकिन भारत में इस पर लचीला रुख अपनाया जा रहा है. जबकि यूरोपीय आयोग का प्रस्ताव था कि यूरोप में हर साल प्लास्टिक का उपयोग कम किया जाए.

यूरोपीय समूह के देशों में हर साल आठ लाख टन प्लास्टिक बैग यानी थैले का उपयोग होता है. जबकि इनका उपयोग सिर्फ एक बार किया जाता है. 2010 में यहां के लोगों ने प्रति व्यक्ति औसत 191 प्लास्टिक थैले का उपयोग किया. इस बारे में यूरोपीय आयोग का विचार था कि इसमें केवल छह प्रतिशत को दोबारा इस्तेमाल लायक बनाया जाता है. यहां हर साल चार अरब से अधिक प्लास्टिक बैग फेंक दिए जाते हैं. भारत भी प्लास्टिक के उपयोग से पीछे नहीँ है. देश में हर साल तकरीबन 56 लाख टन प्लास्टिक कचरे का उत्पादन होता है. जिसमें से लगभग 9205 टन प्लास्टिक को रिसाइकिल कर दोबारा उपयोग में लाया जाता है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार दिल्ली में हर रोज़ 690 टन, चेन्नई में 429 टन, कोलकाता में 426 टन के साथ मुंबई में 408 टन प्लास्टिक कचरा फेंका जाता है. अब ज़रा सोचिए, स्थिति कितनी भयावह है.

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