please help me i want speech on importance of sports and games in hindi
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खेलों का जीवन में विशेष महत्व है, विशेषकर विद्यार्थी – जीवन में। स्वास्थ्य के लिए खेलना बहुत आवश्यक है। नियमित रूप से खेल में भाग लेने वाला फ़ुर्तिला और चुस्त रहता है तथा उसके मुख पर प्रसन्नता छाई रहती है।
खेल मनोरंगन का मुख्य साधन हैं क्योंकि इनसे खेलने वालों और देखने वालों का भी मनोरंजन होता है। इनसे हममें अनुशासन की भावना पैदा होती है। खिलाड़ी को नियमों का पालन करने का अभयान हो जाता है। अच्छे खिलाड़ी न तो विजयी होने पर घमण्ड करते हैं और न ही हारने पर लड़ने पर उतारू होते हैं।
विदयार्थी – जीवन में खेल के महत्व को ध्यान में रखकर स्कूलों में खेल अनिवार्य कर दिए गए हैं। सभी विदयालयों में खेलों का प्रशिक्षण दिया जाता है। हमारे विद्यालय में भी हॉकी, क्रिकेट, वॉलीबॉल और कबड्ड्डी का प्रशिक्षण विशेष रूप से दिया जाता है।
मानव – जीवन की सफलता के लिए तीन शक्तियों के विकास की आवश्यकता है – मानसिक, आत्मिक , और शारीरिक। यदि इनमें मानसिक शक्ति के विकास का अभाव होगा तो मनुष्य की बुद्धि सूझ – बुझ से कार्य करने में असमर्थ रहेगी। आत्मिक विकास के उभाव में मानव निरा पशु होगा और शारीरिक शक्ति के अभाव में उसकी काया जीर्ण, व्याधिग्रस्त होगी।
यदि हम चाहते हैं कि हमारा शरीर प्रसन्न, चुस्त और फ़ुर्तिला रहे तो शारीरिक शक्ति का विकास अनिवार्य है। जब शरीर स्वस्त होगा तो मस्तिष्क स्वयं स्वस्थ रहेगा। एक कहावत है कि ” स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क होता है। ” जब मानसिक शक्ति स्वस्थ और विवेकपूर्व होगी तब आत्मिक उन्नति हो जाएगी। इस प्रकार शारीरिक उन्नति पर ही मानसिक और आत्मिक उन्नति निर्भर है, जो मानव – जीवन की सफलता का मूल कारण है।
इस प्रकार खेलों से मानव में उत्साह, साहस, धेर्य, स्फूर्ति, अनुशासन की भावना एवं जीवन – संघर्ष में हँसते – हँसते जूझने की शक्ति में वर्दिध होती है। अत: जीवन को सुखी, हष्ट – पुष्ट, सरस तथा शक्तिशाली बनाने के लिए खेल – कूद अनिवार्य हैं।
खेल मनोरंगन का मुख्य साधन हैं क्योंकि इनसे खेलने वालों और देखने वालों का भी मनोरंजन होता है। इनसे हममें अनुशासन की भावना पैदा होती है। खिलाड़ी को नियमों का पालन करने का अभयान हो जाता है। अच्छे खिलाड़ी न तो विजयी होने पर घमण्ड करते हैं और न ही हारने पर लड़ने पर उतारू होते हैं।
विदयार्थी – जीवन में खेल के महत्व को ध्यान में रखकर स्कूलों में खेल अनिवार्य कर दिए गए हैं। सभी विदयालयों में खेलों का प्रशिक्षण दिया जाता है। हमारे विद्यालय में भी हॉकी, क्रिकेट, वॉलीबॉल और कबड्ड्डी का प्रशिक्षण विशेष रूप से दिया जाता है।
मानव – जीवन की सफलता के लिए तीन शक्तियों के विकास की आवश्यकता है – मानसिक, आत्मिक , और शारीरिक। यदि इनमें मानसिक शक्ति के विकास का अभाव होगा तो मनुष्य की बुद्धि सूझ – बुझ से कार्य करने में असमर्थ रहेगी। आत्मिक विकास के उभाव में मानव निरा पशु होगा और शारीरिक शक्ति के अभाव में उसकी काया जीर्ण, व्याधिग्रस्त होगी।
यदि हम चाहते हैं कि हमारा शरीर प्रसन्न, चुस्त और फ़ुर्तिला रहे तो शारीरिक शक्ति का विकास अनिवार्य है। जब शरीर स्वस्त होगा तो मस्तिष्क स्वयं स्वस्थ रहेगा। एक कहावत है कि ” स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क होता है। ” जब मानसिक शक्ति स्वस्थ और विवेकपूर्व होगी तब आत्मिक उन्नति हो जाएगी। इस प्रकार शारीरिक उन्नति पर ही मानसिक और आत्मिक उन्नति निर्भर है, जो मानव – जीवन की सफलता का मूल कारण है।
इस प्रकार खेलों से मानव में उत्साह, साहस, धेर्य, स्फूर्ति, अनुशासन की भावना एवं जीवन – संघर्ष में हँसते – हँसते जूझने की शक्ति में वर्दिध होती है। अत: जीवन को सुखी, हष्ट – पुष्ट, सरस तथा शक्तिशाली बनाने के लिए खेल – कूद अनिवार्य हैं।
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