Please Provide Me The Explanation Of Second Paragraph Of The Poem "Gram Shree" Written By Sumitranandan Pant. The second paragraph is most confusing for me. I can understand other paragraphs but the second one is not so easy for me. :(
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जौ और गेंहूँ की बालियाँ निकलने पर धरती बहुत खुश नज़र आती है। अरहर और सनई के दाने धूप में सोने के समान चमकते हुए सुंदर लगते हैं। हवा चलने पर वे घुंघरू की तरह झनक उठते हैं। हवा के झोकों में हल्की तेल की खुशबू आती है जब पीले रंग की सरसों खिलती है। धरती पर हरियाली छाई होती है और उसमें से नीलम की कलि, तीसी नीली झाँक रही होती है।
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