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नमस्कार दोस्त ,
इस श्लोक का अर्थ है -
जो मनुष्य लोग सत्य और मधुर बोलते हैं । जो अप्रिय और असत्य नहीं बोलते हैं । वे सज्जन अपने सच्चे हृदय और दूसरों का उपकार करके जग में श्रेष्ठ बन जाते हैं । वे दूसरे लोगों के सुख के लिए अपने सुखों को त्याग कर देते हैं । वे ही सज्जन कहलाते हैं ।
आशा है इससे आपकी मदद होगी ।
इस श्लोक का अर्थ है -
जो मनुष्य लोग सत्य और मधुर बोलते हैं । जो अप्रिय और असत्य नहीं बोलते हैं । वे सज्जन अपने सच्चे हृदय और दूसरों का उपकार करके जग में श्रेष्ठ बन जाते हैं । वे दूसरे लोगों के सुख के लिए अपने सुखों को त्याग कर देते हैं । वे ही सज्जन कहलाते हैं ।
आशा है इससे आपकी मदद होगी ।
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