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1)भारत का सबसे शक्तिशाली सम्राट मगथराज जरासंध को मारना असंभव था। वह कंस का श्वसुर था। उसे वरदान था कि उसके कोई दो टुकड़े भी कर दे तो वह फिर से जुड़ा जाता था। भीम अर जरासंध का अखाड़े में भयंकर मल्ल युद्ध हुआ। भीम ने उसके कई बार दो टुकड़े कर दिए लेकिन वह फिर से जुड़ कर भीम से लड़ने लगता। भीम लगभग थक ही गया था। 14वें दिन श्रीकृष्ण ने एक तिनके को बीच में से तोड़कर उसके दोनों भाग को विपरीत दिशा में फेंक दिया। भीम, श्रीकृष्ण का यह इशारा समझ गए और उन्होंने वहीं किया। उन्होंने जरासंध को दोफाड़ कर उसके एक फाड़ को दूसरे फाड़ की ओर तथा दूसरे फाड़ को पहले फाड़ की दिशा में फेंक दिया। इस तरह जरासंध का अंत हो गया, क्योंकि विपरित दिशा में फेंके जाने से दोनों टुकड़े जुड़ नहीं पाए।
2)महारानी कुन्ती जन्म से लोग इन्हें पृथा के नाम से पुकारते थे| ये महाराज कुन्तीभोज को गोद दे दी गयी थीं तथा वहीं इनका लालन-पालन हुआ| अत: कुन्ती के नामसे विख्यात हुईं|
हमारे यहाँ शास्त्रों में अहल्या, मन्दोदरी, तारा, कुन्ती और द्रौपदी - ये पाँचों देवियाँ नित्य कन्याएँ कही गयी हैं| इनका नित्य स्मरण करनेसे मनुष्य पापमुक्त हो जाता है| महारानी कुन्ती वसुदेवजीकी बहन और भगवान् श्रीकृष्णकी बुआ थीं| कुन्तीबाल्यकाल से ही अतिथिसेवी तथा साधु-महात्माओंमें अत्यन्त आस्था रखनेवाली थीं| एक बार महर्षि दुर्वासा महाराज कुन्ती भोज के यहाँ आये और बरसात के चार महीनों तक वहीं ठहर गये| उनकी सेवा का कार्य कुन्ती ने सँभाला| महर्षि कुन्ती की अनन्य निष्ठा और सेवासे परम प्रसन्न हुए और जाते समय कुन्ती को देवताओं के आवाहन का मन्त्र दे गये|
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क्षमा करें, सभी प्रश्नों के उत्तर देने में असमर्थ मुझे क्षमा करें
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