pls help to find niband on ....bache man ke sache ...............
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बच्चे मन के सच्चे होते हैं। इनका मन कोरे कागज की तरह होता है। हम जो छाप बच्चों के मन मस्तिष्क पर डालेंगे उसका असर आजीवन दिखेगा। बच्चों को संस्कारवान, गुणवान, चरित्रवान व देश का योग्य नागरिक बनाना हम सबका अहम दायित्व है। बेहतर निर्देशन के जरिए हम बच्चों को जिम्मेदार बना रहे हैं। इसका असर भी दिख रहा है। योग्य नागरिक बनने के लिए बच्चों को शिक्षा व अपने कार्यों का आत्मावलोकन कर बुद्धिमता का हर क्षण प्रयोग करना होगा। ये बातें पडरौना नगर के रामकोला रोड स्थित डिजनी लैंड प्ले वे स्कूल में आयोजित संस्कारशाला शिविर में शिक्षिका प्रियंका त्रिपाठी ने कही। कहा कि बच्चों को खेल-खेल में शिक्षित व गुणवान बनाकर उनके सर्वांगीण विकास का पहल कारगर हो रहा है। बच्चों को खेलने, पढ़ने व बोलने में पूरी आजादी दें तो बच्चों में निश्चित रूप से चतुर्दिक विकास होगा। हमें बच्चों की भावनाओं का भी कद्र करना होगा। इन्हें अबोध व छोटा समझकर यूं ही टाल देने के निर्णय पर विराम लगाना होगा। बच्चों की मांगों को सहज रूप से नहीं टाल देना चाहिए। अन्यथा इनके कोमल मन मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव पडेगा। अभिभावक बच्चों के कार्यों का मूल्यांकन करते हुए हर पल इनके सहयोग में लगे रहें तो स्कूल व घर के आपसी सामंजस्य से बच्चों की शैक्षणिक यात्रा की मंजिल सहज ही पूरी हो जाएगी। बच्चों में बुद्धिमता बड़ों से तनिक भी
कम नहीं होती। इनकी सोच, इनकी परिकल्पना का दायरा भले ही सीमित होता, लेकिन अपने सीमित दायरे में भी
इनकी सोच औरों की तरह ही होती। इनके कोमल मन मस्तिष्क से भय दूर करना, इन्हें आत्मविश्वासी बनाना, सोचने, निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना, खेलकूद व विभिन्न शिक्षणेत्तर गतिविधियों के माध्यम से इनको
हम उम्र में बेहतर बनाना विद्यालय का मूल मकसद है। इस अभियान को मुकाम तक पहुंचाने के लिए प्रयास रंग
ला रहा है। बच्चों पर कभी भी क्षमता से अधिक बोझ न डाले तो इनका विकास समुचित गति से होगा। अन्यथा
समाज व परिवार के सदस्यों से इनकी दूरी बढ़ने लगेगी। बच्चों को उनकी रूचि का ख्याल जरूर करें। अभिभावक
खुद आत्मावलोकन करें और बच्चों में भी इस क्षमता का विकास कराएं। क्विज, प्रश्नोत्तरी के जरिए बच्चों की शिक्षा रूचिकर बना सकते हैं। अत्यधिक दबाब देने पर बच्चों में अरूचि की भावना शिक्षा की राह से विमुख कर
देगी। इसका खास ख्याल करना होगा। शिक्षिका अनीता श्रीवास्तव ने कहा कि दैनिक जागरण ने संस्कारशाला शिविर के जरिए बच्चों में नई उर्जा का संचार किया है। निश्चित ही यह पहल बच्चों के भविष्य को संवारते हुए मुकाम तक ले जाएगी।
कम नहीं होती। इनकी सोच, इनकी परिकल्पना का दायरा भले ही सीमित होता, लेकिन अपने सीमित दायरे में भी
इनकी सोच औरों की तरह ही होती। इनके कोमल मन मस्तिष्क से भय दूर करना, इन्हें आत्मविश्वासी बनाना, सोचने, निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना, खेलकूद व विभिन्न शिक्षणेत्तर गतिविधियों के माध्यम से इनको
हम उम्र में बेहतर बनाना विद्यालय का मूल मकसद है। इस अभियान को मुकाम तक पहुंचाने के लिए प्रयास रंग
ला रहा है। बच्चों पर कभी भी क्षमता से अधिक बोझ न डाले तो इनका विकास समुचित गति से होगा। अन्यथा
समाज व परिवार के सदस्यों से इनकी दूरी बढ़ने लगेगी। बच्चों को उनकी रूचि का ख्याल जरूर करें। अभिभावक
खुद आत्मावलोकन करें और बच्चों में भी इस क्षमता का विकास कराएं। क्विज, प्रश्नोत्तरी के जरिए बच्चों की शिक्षा रूचिकर बना सकते हैं। अत्यधिक दबाब देने पर बच्चों में अरूचि की भावना शिक्षा की राह से विमुख कर
देगी। इसका खास ख्याल करना होगा। शिक्षिका अनीता श्रीवास्तव ने कहा कि दैनिक जागरण ने संस्कारशाला शिविर के जरिए बच्चों में नई उर्जा का संचार किया है। निश्चित ही यह पहल बच्चों के भविष्य को संवारते हुए मुकाम तक ले जाएगी।
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