Hindi, asked by Masoodrph7390, 1 year ago

plz. give me essay on "bharat mein cricket ki lokpriyata kya baki khelon ke liye bhadhak hai... Plz ans. it fast............

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Answered by vijaymirpuri
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आज क्रिकेट भारत का सर्वाधिक लोकप्रिय खेल है । क्रिकेट खेलने और देखने वालों की संख्या यहाँ सबसे अधिक है । यद्यपि क्रिकेट भारत का अपना खेल नहीं है । वास्तव में क्रिकेट इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया आदि देशों की देन है । पहले भारत में हाँकी, बालीबाल, फुटबॉल अधिक लोकप्रिय थे ।

परन्तु धीरे-धीर यहाँ क्रिकेट सभी खेलों को पछाड़ते हुए लोप्रियता के शिखर पर पहुँच गया । क्रिकेट के प्रति लोगों में एक प्रकार का जुनून सा है । अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जब भी भारतीय क्रिकेट टीम का किसी अन्य टीम से मुकाबला होता है, तो यहाँ लोगों का जुनून देखने लायक होता है ।

हॉकी, फुटबॉल आदि खेलों की तुलना में क्रिकेट को मिलने वाली अधिक लोकप्रियता के कारण खोजना तो सम्भव नहीं है । परन्तु यह सत्य है कि क्रिकेट का जादू भारतवासियों के सिर चढकर बोलता है ।

यहाँ 4-5 वर्ष के बच्चे से लेकर 70-80 वर्ष के वृद्ध तक क्रिकेट के दीवाने हैं ।

भारत के गांव हों या शहर, गली मुहल्लों में, खुले मैदानों में, प्रत्येक स्थान पर क्रिकेट का खेल देखा जा सकता है । बच्चों के खिलौनों में क्रिकेट बैट का विशेष स्थान बन गया है । छोटे बच्चों के हाथों में लकड़ी का न सही, प्लास्टिक का क्रिकेट बैट अवश्य देखा जा सकता है ।

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स्पष्टत: क्रिकेट को भारत में भरपूर प्रेम मिला है । लेकिन क्रिकेट ने भी भारत को अनेक अवसरों पर सम्मान दिलाया है । अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त यह खेल भारत के अतिरिक्त ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज, इग्लैंड, न्यूजीलैंड, पाकिस्तान, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका, बंगला देश, जिम्बाब्बे, केन्या, हॉलैण्ड आदि देशों की टीम खेलती हैं और इनसे मुकाबले में भारत ने अनेकों बार विजय प्राप्त की है ।

क्रिकेट इन सभी देशों का प्रमुख खेल है । परन्तु चीन सहित अन्य साम्यवादी देश, जापान, अमरीका आदि देशों में क्रिकेट को पसन्द नहीं किया जाता । मुस्तिम देशों में भी केवल पाकिस्तान और बंगला देश के लोग ही क्रिकेट में रुचि रखते हैं । स्पष्टत: क्रिकेट विश्व के सभी देशों का प्रिय खेल नहीं है । परन्तु जहाँ भी यह खेला जाता है, वहाँ इसके दीवानों की कमी नहीं है ।

विशेषत: भारत में युवा पीढ़ी सिने कलाकार और क्रिकेट खिलाड़ी, इन दोनों से सर्वाधिक प्रभावित है । आज का नौजवान या तो फिल्म का हीरो बनने के सपने देखता है या क्रिकेट का खिलाड़ी । सिने कलाकारों को तो पहले से ही लोगों का प्रेम प्राप्त था । अत: बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ भी अपने उत्पादन के प्रचार के लिए सिने कलाकारों का वर्षो से इस्तेमाल कर रही थीं ।

लेकिन आज क्रिकेट खिलाड़ियों की बढ़ती लोकप्रियता के कारण उनका भी कम्पनियों के उत्पादनों के प्रचार में भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है । आज किसी संस्था के द्वारा चंदे के रूप में धन एकत्र करने के लिए भी क्रिकेट खिलाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है ।

जिस प्रकार सिनेमा ने कलाकारों को पृथ्वी के सितारे बनाया, उसी प्रकार क्रिकेट ने खिलाड़ियों को पृथ्वी के सितारे बना दिया है । यही कारण है कि आज की युवा पीढ़ी सिने कलाकार बनना अधिक पसन्द करती है या क्रिकेट खिलाड़ी ।भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता के चलते छोटे-बड़े क्रिकेट क्लब भी बन रहे हैं ।

राष्ट्रीय स्तर पर यहाँ रणजी ट्राफी, दिलीप ट्राफी, विल्स ट्राफी आदि के जरिये राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय टीमों के लिए खिलाड़ियों का चयन किया जाता है । स्कूल-कॉलेज स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करने वाले प्रतिभावान खिलाड़ियों को ही राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का अवसर प्राप्त होता है ।

चमकने वाले सितारे कम ही होते हैं । क्रिकेट सितारा बनने के सपने देखने वाले सभी नौजवानों की चाहत पूरी नहीं होती । परन्तु क्रिकेट का जुनून भारत के बच्चे-बच्चे पर है, इसमें संदेह नहीं है ।



vijaymirpuri: hope it helps
vijaymirpuri: took me soo long
Answered by PravinRatta
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भारत में क्रिकेट बाकी खेलों के लिए बाधक है

हमारे देश भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी है। लेकिन अगर हम ध्यान दें तो भारत में जितने भी खेल खेले जाते हैं उनमें क्रिकेट सबसे ज्यादा लोकप्रिय है।

क्रिकेट के लोकप्रियता का पैमाना यह है कि आज प्रत्येक घर के बच्चे क्रिकेट खेलते तथा देखते हैं। बाकी खेल के प्रति वह जानते हों या नहीं लेकिन वह क्रिकेट के बारे में जरूर जानते हैं।

दूसरे खेलों की लोकप्रियता ना बढ़ने कारण क्रिकेट का बाधक बनना है। क्रिकेट ज्यादा लोगो द्वारा देखा जाता है जिसके कारण दूसरों खेलों पर लोगो का ध्यान नहीं जाता है।

हमारे राष्ट्रीय खेल होने के बावजूद हॉकी से ज्यादा क्रिकेट को लोग तवज्जो देते हैं। लोग क्रिकेट में ही अपना भविष्य बेहतर देखते हैं।

इसलिए हमें दूसरे खेलों पर भी ध्यान देना चाहिए। क्रिकेट के लोकप्रियता कि दूसरों के लिए बाधक नहीं बनने देना चाहिए।

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