plz give me the answer of this question
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=============नमस्कार!=============
आत्मकथा शैली में कुर्सी की कहानी
तुम जिस लकड़ी की कुर्सी पर बैठे हो जानते हो तुम्हें आराम पहुंचाने के लिए मुझे कितनी तकलीफ झेलनी पड़ी है। अपने पास से आती आवाज सुनकर वंशी( नाम ) चौकी ।उसने अपने आप से कहा कि यह आवाज कहां से आई। तभी कुर्सी बोली, यह मैं ही बोल रही हूं। क्या तुम मेरी कहानी सुनोगे? वंशीे (नाम) हां कहने पर कुर्सी अपनी कहानी सुनाने लगी।
किसी समय में हरे भरे पेड़ की शाखा थी। कौन लालची मनुष्य ने अपने लोग के कारण उस पेड़ को काट कर भेज दिया। एक पार्टी लोहार ने मेरी जैसी कई शाखाओं को खरीद लिया। उसने मुझे सूखने को धूप में डाल दिया। क्या बताऊं कितनी पीड़ा थी, पर उससे भी ज्यादा पीड़ा तो तब मुझे हुई जब उसने मुझे मशीन चीरकर कई भाग कर डाले। इन भागों में कुछ पटरे थे कुछ लंबे तने जैसे। इन पत्रों को उसने डंडे की मदद से चिकना किया। कुछ लकड़ियां काट कर मेरे पास तैयार किए। उसने पाए, पटरे, हथोड़ा और पीठ का भाग जोड़ने के लिए जब किले टोंक की तो मेरी जान निकलते निकलते बची। मेरे तैयार होने पर उसने मेरे कुछ घावों पर पीली मिट्टी भरी। फिर मुझे पूरी तरह पॉलिश करके बाजार में के के लिए रख दिया जा से तुमने मुझे खरीद लिया। तब से मैं तुम्हारे आराम का साधन बनी हुई हूं।
============धन्यवाद!============
मुझे आशा है कि आप को मेरा उत्तर पसंद आएगा।
आत्मकथा शैली में कुर्सी की कहानी
तुम जिस लकड़ी की कुर्सी पर बैठे हो जानते हो तुम्हें आराम पहुंचाने के लिए मुझे कितनी तकलीफ झेलनी पड़ी है। अपने पास से आती आवाज सुनकर वंशी( नाम ) चौकी ।उसने अपने आप से कहा कि यह आवाज कहां से आई। तभी कुर्सी बोली, यह मैं ही बोल रही हूं। क्या तुम मेरी कहानी सुनोगे? वंशीे (नाम) हां कहने पर कुर्सी अपनी कहानी सुनाने लगी।
किसी समय में हरे भरे पेड़ की शाखा थी। कौन लालची मनुष्य ने अपने लोग के कारण उस पेड़ को काट कर भेज दिया। एक पार्टी लोहार ने मेरी जैसी कई शाखाओं को खरीद लिया। उसने मुझे सूखने को धूप में डाल दिया। क्या बताऊं कितनी पीड़ा थी, पर उससे भी ज्यादा पीड़ा तो तब मुझे हुई जब उसने मुझे मशीन चीरकर कई भाग कर डाले। इन भागों में कुछ पटरे थे कुछ लंबे तने जैसे। इन पत्रों को उसने डंडे की मदद से चिकना किया। कुछ लकड़ियां काट कर मेरे पास तैयार किए। उसने पाए, पटरे, हथोड़ा और पीठ का भाग जोड़ने के लिए जब किले टोंक की तो मेरी जान निकलते निकलते बची। मेरे तैयार होने पर उसने मेरे कुछ घावों पर पीली मिट्टी भरी। फिर मुझे पूरी तरह पॉलिश करके बाजार में के के लिए रख दिया जा से तुमने मुझे खरीद लिया। तब से मैं तुम्हारे आराम का साधन बनी हुई हूं।
============धन्यवाद!============
मुझे आशा है कि आप को मेरा उत्तर पसंद आएगा।
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