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Explanation:
माता-पिता अपने बच्चों के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शिक्षा वह कुंजी है जो जीवन के द्वार को खोलती है और जो चरित्र में अनिवार्य रूप से सामाजिक है। शिक्षा एक परिष्कार की डिग्री इंगित करता है। औपचारिक शिक्षा सामाज़िककरण का एक महत्वपूर्ण वाहन है।
आजकल, माता-पिता अपने बच्चों को बचपन से ही स्कूलों में भेजते हैं। इस प्रकार स्कूल, परिवार और बाहरी दुनिया के बीच एक पुल का काम करता है। हालांकि, यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि स्कूल और शिक्षक कभी भी माता-पिता को प्रतिस्थापित नहीं कर सकते हैं।
माता-पिता का बच्चों के शैक्षिक कार्यों में उनक लिए उचित स्कूलों का चयन, उन्हें नामांकित कराना, शिक्षकों से मिलना, उन्हें घर में स्कूल द्वारा दिया गया गृहकार्य कराना, उनकी शिक्षा की योजना बनाना, उनकी प्रगति-पत्रिका देखना, उनके स्कूल कार्यों में भाग लेना आदि शामिल हैं। इस संबंध में उनकी योजना यह होती है की उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले।
बच्चों के पहले शिक्षक उनके माता पिता ही होते है। वो अपने बच्चों को अच्छे संस्कार सिखाने में मदद करते है। उनके व्यव्हार को अच्छा बनाने में उनकी मदद करते है। केवल अ आ इ सिखना ही शिक्षा का भाग नहीं होता। बच्चों के अच्छे संस्कार और दूसरो के प्रति उनका अच्छा व्यव्हार ही एक शिक्षित इंसान की पहचान होता है जो की उन्हें उनके माता पिता से सिखने को मिलता है।