Hindi, asked by jasshikdua09, 7 months ago

poem dhul of sharveshvar dual saxena

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Answered by palakshree07
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Answer:

may be it is helpful for you because i have spended much time in this answer if any mistake in spelling then sorry for that but i expect that my spelling are right please mark me as brainliest

Explanation:

तुम धूल हो -

पैरों से रौंदी हुई धूल ।

बेचैन हवा के साथ उठो ,

आँधी बन

उनकी आँखों में पड़ो

जिनके पैरों के नीचे हो ।

ऐसी कोई जगह नहीं

जहाँ तुम पहुच न सको

ऐसा कोई नहीं

जो तुम्हे रोक ले ।

तुम धूल हो -

पैरों से रौंदी हुई धूल

धूल से मिल जाओ ।

धूल ( दो )

तुम धूल हो

ज़िंदगी की सीलन से

दीमक बनो

रातों-रात

सदियों से बंद

दीवारों की

खिड़कियाँ

दरवाजे

और रोशनदान चाल दो ।

तुम धूल हो

ज़िंदगी की सीलन से जनम लो

दीमक बनो, आगे बढो़।

एक बार रास्ता पहचान लेने पर

तुम्हें कोई खत्म नहीं कर सकता ।

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