poem on holi in hindi
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होली आई , खुशियाँ लाई
खेले राधा सँग कन्हाई
फैन्के इक दूजे पे गुलाल
हरे , गुलाबी ,पीले गाल
प्यार का यह त्योहार निराला
खुश है कान्हा सँग ब्रजबाला
चढा प्रेम का ऐसा रँग
मस्ती मे झूम अन्ग-अन्ग
आओ हम भी खेले होली
नही देन्गे कोई मीठी गोली
हम खेले शब्दो के सँग
भावो के फैन्केगे रन्ग
रन्ग-बिरन्गे भाव दिखेन्गे
आज हम होली पे लिखेन्गे
चलो होलिका सब मिल के जलाएँ
एक नया इतिहास बनाएँ
जलाएँ उसमे बुरे विचार
कटु-भावो का करे तिरस्कार
नफरत की दे दे आहुति
आज लगाएँ प्रेम भभूति
प्रेम के रन्ग मे सब रन्ग डाले
नफरत नही कोई मन मे पाले
सब इक दूजे के हो जाएँ
आओ हम सब होली मनाएँ
खेले राधा सँग कन्हाई
फैन्के इक दूजे पे गुलाल
हरे , गुलाबी ,पीले गाल
प्यार का यह त्योहार निराला
खुश है कान्हा सँग ब्रजबाला
चढा प्रेम का ऐसा रँग
मस्ती मे झूम अन्ग-अन्ग
आओ हम भी खेले होली
नही देन्गे कोई मीठी गोली
हम खेले शब्दो के सँग
भावो के फैन्केगे रन्ग
रन्ग-बिरन्गे भाव दिखेन्गे
आज हम होली पे लिखेन्गे
चलो होलिका सब मिल के जलाएँ
एक नया इतिहास बनाएँ
जलाएँ उसमे बुरे विचार
कटु-भावो का करे तिरस्कार
नफरत की दे दे आहुति
आज लगाएँ प्रेम भभूति
प्रेम के रन्ग मे सब रन्ग डाले
नफरत नही कोई मन मे पाले
सब इक दूजे के हो जाएँ
आओ हम सब होली मनाएँ
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