Hindi, asked by AdityaDhembare, 1 year ago

Poem on kavita in hindi

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Answered by durekhan123
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मुझे

नहीं चाहिए चांद/और

न ही तमन्ना है कि

सूरज

कैद हो मेरी मुट्ठी में

हालांकि

मुझे भाता है

दोनों का ही स्वरूप।

सचमुच

आकाश की विशालता भी

मुग्ध करती है

लेकिन

तीनों का एकाकीपन

अक्सर

बहुत खलता है

शायद इसीलिए

मैंने कभी नहीं चाहा कि

हो सकूं

चांद/सूरज और आकाश जैसा।

क्योंकि

मैं घुलना चाहता हूं

खेतों की सौंधी माटी में

गतिशील रहना चाहता हूं

किसान के हल में।

खिलखिलाना चाहता हूं

दुनिया से अनजान

खेलते बच्चों के साथ।

हां, मैं चहचहाना चाहता हूं

सांझ ढले/घर लौटते

पंछियों के संग-संग।

चाहत है मेरी

कि बस जाऊं/वहां-वहां

जहां

सांस लेती है ज़िंदगी

और/यह तभी संभव है

जबकि

मेरे भीतर ज़िंदा रहे

एक आम आदमी।


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