Poem on Shri ram in Hindi
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Here is your Hindi poem on Lord Rama
कथा है इक संन्यासी की।
सन्यासी अविनाशी की।
जो मर्यादा मन में पाले।
वस्त्र धारी वल्कल वाले।।
जनकनन्दिनी का संगी।
सेवक जिसका बजरंगी।।
हो पितृ वचन बद्ध प्रवासी।
भाई -भार्या सही इक वनवासी।।
जो वनवासी विजय नाम है।
वो राम है, वो राम है
वो राम है, वो राम है।
था व्यभिचारी, वामाचारी।
वो रावण बड़ा अहंकारी।।
कपटी स्वर्णिम मृग रचा।
मृगनयनी सीता को छला।।
लाकर उसको पंचवटी।
मन में हर्षाया कपटी।।
मिथ्यावादी फैलाकर जाल।
बुला बैठा लंका में काल।।
वो काल जिसे करे प्रणाम है।
वो राम है, वो राम है
वो राम है , वो राम है।
परीक्षा थी रघुनन्दन की।
सात जन्म के बंधन की।.
कमल नयन फूटी ज्वाला।
महापाप रावण ने कर डाला।।
लंका थर-थर कांप उठी।
काल निकट है भांप उठी।।
वीरता देख इक मानव की।
ढह गई नगरी दानव की।
दानव बोला अंत में
जो विजय पताका नाम है।
वो राम है , वो राम है।
वो राम है , वो राम है।
इंसा में बसा भगवान है
शत्रु को क्षमादान है
सर्वाधिक दयावान है
मर्यादा की पहचान है
नर नारी का सम्मान है
हिंदुत्व का अभिमान है
राज मुकुट की शान है
राम राज्य का प्रमाण है
वो राम नहीं दुनिया वालों
वो राम तो हिन्दुस्तान है
वो राम तो हिन्दुस्तान है
पुरुषोत्तम श्री राम है।
वो राम है, वो राम है।
वो राम है, वो राम है।