Poem on Unique features of India’s freedom movement in Hindi
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भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन की अद्वितीय विशेषताएं
गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने का आग़ाज हो चुका था,
स्वाधीनता की चाह में, प्यारे वतन की राह में तूफ़ान आ चुका था I
वतन को आजाद करने हर हिन्दुस्तानी आगे बढ़ चुका था,
जेलों में गए, फांसियों पर चढ़े, न तोपों के आगे झुका था II
न घर की न घरवालों की परवाह, मकसद वतन आजाद करना था,
गूंज बंदेमातरम् की हुई, मकसद हर हिन्दुस्तानी को एक करना था I
गोलियां खाई, जंगलों में भटके, और फांसी पर झूल गए,
यह देश हमारा है और हम इसके, मकसद अंग्रेजों को यह बताना था II
आजादी की आबाज उठाने पर मिलेगी फांसी, पर वो वीर न डरे थे,
सन सतावन का विद्रोह असफल रहा, फिर भी वो रास्ते से न हटे थे I
संसद में किया धमाका, काकोरी में ट्रेन लूटी थी,
क्रांतिकारियों को दबाने में, अंग्रेजों ने कितने ही षड्यंत्र रचे थे II
महात्मा गांधी की एक आबाज पर, हर हिन्दुस्तानी सड़कों पर था,
सत्यग्रह आन्दोलन चला, साईमन वापिस जाओ नारा हर जुबां पर था I
न डरे, न हटे, न झुके वस अपना वतन आजाद चाहिए था II
गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने का आग़ाज हो चुका था,
स्वाधीनता की चाह में, प्यारे वतन की राह में तूफ़ान आ चुका था I
वतन को आजाद करने हर हिन्दुस्तानी आगे बढ़ चुका था,
जेलों में गए, फांसियों पर चढ़े, न तोपों के आगे झुका था II
न घर की न घरवालों की परवाह, मकसद वतन आजाद करना था,
गूंज बंदेमातरम् की हुई, मकसद हर हिन्दुस्तानी को एक करना था I
गोलियां खाई, जंगलों में भटके, और फांसी पर झूल गए,
यह देश हमारा है और हम इसके, मकसद अंग्रेजों को यह बताना था II
आजादी की आबाज उठाने पर मिलेगी फांसी, पर वो वीर न डरे थे,
सन सतावन का विद्रोह असफल रहा, फिर भी वो रास्ते से न हटे थे I
संसद में किया धमाका, काकोरी में ट्रेन लूटी थी,
क्रांतिकारियों को दबाने में, अंग्रेजों ने कितने ही षड्यंत्र रचे थे II
महात्मा गांधी की एक आबाज पर, हर हिन्दुस्तानी सड़कों पर था,
सत्यग्रह आन्दोलन चला, साईमन वापिस जाओ नारा हर जुबां पर था I
न डरे, न हटे, न झुके वस अपना वतन आजाद चाहिए था II
kvnmurty:
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1. आह्वान: अशफाकउल्ला खां
कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे,
आजाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे
हटने के नहीं पीछे, डरकर कभी जुल्मों से
तुम हाथ उठाओगे, हम पैर बढ़ा देंगे
बेशस्त्र नहीं हैं हम, बल है हमें चरख़े का,
चरख़े से ज़मीं को हम, ता चर्ख़ गुंजा देंगे
परवाह नहीं कुछ दम की, ग़म की नहीं, मातम की,
है जान हथेली पर, एक दम में गंवा देंगे
उफ़ तक भी जुबां से हम हरगिज़ न निकालेंगे
तलवार उठाओ तुम, हम सर को झुका देंगे
सीखा है नया हमने लड़ने का यह तरीका
चलवाओ गन मशीनें, हम सीना अड़ा देंगे
दिलवाओ हमें फांसी, ऐलान से कहते हैं
ख़ूं से ही हम शहीदों के, फ़ौज बना देंगे
मुसाफ़िर जो अंडमान के, तूने बनाए, ज़ालिम
आज़ाद ही होने पर, हम उनको बुला लेंगे
PLEASE MARK AS BRAINLIAST.
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