Hindi, asked by pratharora, 1 year ago

prarathna sabha pe nibandh


MohammadArmaanSheikh: hindi or english
pratharora: In hindi

Answers

Answered by ankitchaurasiya20041
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प्रार्थना मनुष्य की श्रेष्ठता की प्रतीक है
क्योंकि यह उसके और परमात्मा के घनिष्ठ
संबंधों को दर्शाती है । हरएक धर्म में प्रार्थना
का बड़ा महत्व है । सभी धर्म-गुरुओं, ग्रंथों और
संतों ने प्रार्थना पर बड़ा बल दिया है ।
उन्होंने प्रार्थना को मोक्ष का द्वार कहा है

प्रार्थना में परमेश्वर की प्रशंसा, स्तुति,
गुणगान, धन्यवाद, सहायता की कामना,
मार्गदर्शन की ईच्छा, दूसरों का हित चिंतन
आदि होते हैं । प्रार्थना चुपचाप, बोलकर या
अन्य किसी विधी से की जा सकती है । यह
अकेले और सामूहिक, दोनों रूपों में होती है ।
यह ध्यान के रूप में या किसी धर्म ग्रंथ के पढ़ने के
रूप में भी हो सकती है ।
प्रार्थना में माला, जाप, गुणगान पूजा संगीत
आदि का सहारा लिया जाता है । बिना
किसी ऐसे साधन के भी प्रार्थना की जा
सकती है । प्रार्थना करने की कोई भी विधि
अपनाई जा सकती है, और सभी श्रेष्ठ हैं ।
प्रार्थना एक तरह से परमेश्वर और भक्त के बीच
बातचीत है । इस में भक्त भगवान को अपनी
सारी स्थिति स्पष्ट कर देता है कुछ छिपाता
नहीं ।

ankitchaurasiya20041: thik hai
Answered by Anonymous
3

आज भी जब हम प्रार्थना सभा का नाम सुनते हैं. तो स्कूल के समय का वह दृश्य आँखों के सम्मुख प्रस्तुत हो जाता हैं. जब हमारे विद्यालय के दिन की शुरुआत प्रार्थना सभा से होती हैं. स्कूल के सभी विद्यार्थी समय पर गणवेश में पहुचकर प्रार्थना सभा में सर्वधर्म प्रार्थना करते हैं.

भारतीय संस्कृति में प्रार्थना का अहम स्थान हैं. प्रत्येक कार्य की शुरुआत से पूर्व मन में ही अथवा गाकर ईश्वर से उस कार्य की सिद्धि हेतु हम सभी प्रार्थना करते हैं. तत्पश्चात ही सभी कार्य आरंभ किये जाते हैं. बच्चें भी जब विद्या अध्ययन के लिए विद्यालय जाते है तो पठन पाठन से पूर्व वे प्रार्थना सभा में ईश्वर से प्रार्थना करते हैं.

भारत के लगभग प्रत्येक विद्यालय में शिक्षण की शुरुआत से पूर्व प्रार्थना का आयोजन किया जाता हैं. प्रार्थना सभा वह स्थल होता है जहाँ सम्बन्धित विद्यालय के शैक्षिक, सामाजिक एवं मानसिक व आध्यात्मिक विषयों के चित्र प्रस्तुत होते हैं. प्रार्थना सभा का उद्देश्य आज धूमिल होता नजर आ रहा हैं. शिक्षक, छात्र व विद्यालय प्रशासन केवल औपचारिकताएं पूरी करने के लिए सवेरे एक स्थल पर इकट्ठे होकर राष्ट्र गान, राष्ट्रगीत, प्रतिज्ञा तथा प्रार्थना का गायन करते हैं.

प्रार्थना सभा के सकारात्मक उद्देश्य को समझने पर हम पाएगे कि विद्यालय की शिक्षण अधिगम प्रणाली के आरंभ होने से पूर्व होने वाली एक औपचारिक सभा न होकर उस दिन के विद्यालय की सभी गतिविधियाँ सही ढंग से चले तथा विद्यालय में शिक्षा का उचित माहौल तैयार हो इसके लिए प्रार्थना का आयोजन करवाया जाता हैं.

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