୨ ପୃ Prithviraj Prati Shabd karna-– Yଅବି
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पृथ्वीराज रासो हिन्दी भाषा में लिखा एक महाकाव्य है जिसमें सम्राट पृथ्वीराज चौहान के जीवन और चरित्र का वर्णन किया गया है। इसके रचयिता चंदबरदाई चारण पृथ्वीराज के बचपन के मित्र और उनके राजकवि थे और उनकी युद्ध यात्राओं के समय वीर रस की कविताओं से सेना को प्रोत्साहित भी करते थे। ११६५ से ११९२ के बीच पृथ्वीराज चौहान का राज्य अजमेर से दिल्ली तक फैला हुआ था। पृथ्वीराज रासो और पृथ्वीराज काव्य के अनुसार पृथ्वीराज का जन्म क्षत्रिय राजपूत कुल में हुआ था[1][2] । कई कोणों से रासो ने स्पष्ट रूप से कहा है कि पृथ्वीराज एक राजपूत थे, एक क्षत्रिय थे[2][1]। २०२० में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के नेतृत्व में दिल्ली में एक समिति बिठाई गई जिसमे १५ से अधिक भारतीय विश्वाध्यालयों के प्रोफेसर को शामिल किया गया[1] , इन १५ + विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने रासो और तमाम इतिहासिक सक्सों का अध्ययन करके पृथ्वीराज चौहान को एक क्षत्रिय राजपूत बताया है[1][2] तथा उनके दादा अनंगपाल के भी राजपूत होने के तमाम सक्श सबके सामने रखे[1] ,इसकी तमाम जानकारी भारतीय सरकार के वेबसाइट पे है[1]।