Hindi, asked by prashantkumarsingh33, 10 months ago

Pushpanjali ka samas bigrah

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Answered by sp6559568
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समास-सम्बन्धी कुछ विशेष बातें-

(1)एक समस्त पद में एक से अधिक प्रकार के समास हो सकते है। यह विग्रह करने पर स्पष्ट होता है। जिस समास के अनुसार विग्रह होगा, वही समास उस पद में माना जायेगा।

जैसे-

(i)पीताम्बर- पीत है जो अम्बर (कर्मधारय),

पीत है अम्बर जिसका (बहुव्रीहि);

(ii)निडर- बिना डर का (अव्ययीभाव );

नहीं है डर जिसे (प्रादि का नञ बहुव्रीहि);

(iii) सुरूप - सुन्दर है जो रूप (कर्मधारय),

सुन्दर है रूप जिसका (बहुव्रीहि);

(iv) चन्द्रमुख- चन्द्र के समान मुख (कर्मधारय);

(v)बुद्धिबल- बुद्धि ही है बल (कर्मधारय);

(2) समासों का विग्रह करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि यथासम्भव समास में आये पदों के अनुसार ही विग्रह हो।

जैसे- पीताम्बर का विग्रह- 'पीत है जो अम्बर' अथवा 'पीत है अम्बर जिसका' ऐसा होना चाहिए। बहुधा संस्कृत के समासों, विशेषकर अव्ययीभाव, बहुव्रीहि और उपपद समासों का विग्रह हिन्दी के अनुसार करने में कठिनाई होती है। ऐसे स्थानों पर हिन्दी के शब्दों से सहायता ली जा सकती है।

जैसे- कुम्भकार =कुम्भ को बनानेवाला;

खग=आकाश में जानेवाला;

आमरण =मरण तक;

व्यर्थ =बिना अर्थ का;

विमल=मल से रहित; इत्यादि।

(3)अव्ययीभाव समास में दो ही पद होते है। बहुव्रीहि में भी साधारणतः दो ही पद रहते है। तत्पुरुष में दो से अधिक पद हो सकते है और द्वन्द्व में तो सभी समासों से अधिक पद रह सकते है।

जैसे- नोन-तेल-लकड़ी, आम-जामुन-कटहल-कचनार इत्यादि (द्वन्द्व)।

(4)यदि एक समस्त पद में अनेक समासवाले पदों का मेल हो तो अलग-अलग या एक साथ भी विग्रह किया जा सकता है।

जैसे- चक्रपाणिदर्शनार्थ-चक्र है पाणि में जिसके= चक्रपाणि (बहुव्रीहि);

दर्शन के अर्थ =दर्शनार्थ (अव्ययीभाव );

चक्रपाणि के दर्शनार्थ =चक्रपाणिदर्शनार्थ (अव्ययीभाव )। समूचा पद क्रियाविशेषण अव्यय है, इसलिए अव्ययीभाव है।

प्रयोग की दृष्टि से समास के भेद-

प्रयोग की दृष्टि से समास के तीन भेद किये जा सकते है-

(1)संज्ञा या संयोगमूलक समास

(2)आश्रयमूलक या विशेषण समास

(3)वर्णनमूलक या अव्यय समास

ᴴᴼᴾᴱ ᵁ ᵁᴺᴰᴱᴿˢᵀᴼᴼᴰ.....

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