Hindi, asked by rahul9433v, 1 year ago

Pustak Mele Mein Adhuri kharidari Hindi essay​

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Answered by bhatiamona
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Answer:

                          पुस्तक मेले में अधूरी खरीदारी हिंदी

गर्मियों  के दिन थे, शिमला में रिज मैदान में पुस्तक प्रदर्शनी उत्सव का आयोजन था | मैं  और मेरी सहेली पुस्तक प्रदर्शनी देखने गये। अंदर जा के ऐसा लग रहा था जैसे पुस्तक मेला लगा हुआ है,चारों ओर बहुत भीड़ काफ़ी संख्या में लोग देखने आए थे। इतनी सारी तरह-तरह की पुस्तकें  देखने में एक घंटा  ऐसा बीत जैसे पता नहीं चला। बाहर के अनेक राज्यों से पुस्तक विक्रेता और प्रकाशक वहां आये हुए थे। स्टालों पर पुस्तकें बड़े अच्छे ढंग से रखी हुई थीं । इतिहास, भूगोल, ज्ञान-विज्ञान, साहित्य, यात्रा, धर्म, भाषा, जीवन-वृत्त आदि सभी विषयों पर पुस्तकें थीं। हमने सब विषयों की पुस्तकों को देखा| देश की लगभग सभी प्रमुख भाषाओं की पुस्तकें वहां थीं । कुछ पुस्तक-विक्रेता नए वर्ष का कलैंडर, डायरी आदि पुस्तकों के साथ उपहार में दे रहे थे। एक स्टाल में कहानियों की पुस्तकें थी। मैंने अपनी माँ के लिए खाना-खजाना की पुस्तक ली जिसमें काफ़ी खाना बनाने की विधियाँ थी । और अपने लिए मैंने प्रेम चन्द की कहानियां और एक अंग्रेजी का शब्दकोश अपने लिए खरीदा । मुझे इस बार बहुत अफ़सोस हुआ मेले में अधूरी खरीदारी हुई , समय बहुत ज्यादा हो गया था और मैं विज्ञान विषय की और साहित्य की पुस्तकें खरीद नहीं पाई |

Answered by devansh2008dg
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Answer:

पुस्तक मेले में अधूरी खरीदारी हिंदी

गर्मियों  के दिन थे, शिमला में रिज मैदान में पुस्तक प्रदर्शनी उत्सव का आयोजन था | मैं  और मेरी सहेली पुस्तक प्रदर्शनी देखने गये। अंदर जा के ऐसा लग रहा था जैसे पुस्तक मेला लगा हुआ है,चारों ओर बहुत भीड़ काफ़ी संख्या में लोग देखने आए थे। इतनी सारी तरह-तरह की पुस्तकें  देखने में एक घंटा  ऐसा बीत जैसे पता नहीं चला। बाहर के अनेक राज्यों से पुस्तक विक्रेता और प्रकाशक वहां आये हुए थे। स्टालों पर पुस्तकें बड़े अच्छे ढंग से रखी हुई थीं । इतिहास, भूगोल, ज्ञान-विज्ञान, साहित्य, यात्रा, धर्म, भाषा, जीवन-वृत्त आदि सभी विषयों पर पुस्तकें थीं। हमने सब विषयों की पुस्तकों को देखा| देश की लगभग सभी प्रमुख भाषाओं की पुस्तकें वहां थीं । कुछ पुस्तक-विक्रेता नए वर्ष का कलैंडर, डायरी आदि पुस्तकों के साथ उपहार में दे रहे थे। एक स्टाल में कहानियों की पुस्तकें थी। मैंने अपनी माँ के लिए खाना-खजाना की पुस्तक ली जिसमें काफ़ी खाना बनाने की विधियाँ थी । और अपने लिए मैंने प्रेम चन्द की कहानियां और एक अंग्रेजी का शब्दकोश अपने लिए खरीदा । मुझे इस बार बहुत अफ़सोस हुआ मेले में अधूरी खरीदारी हुई , समय बहुत ज्यादा हो गया था और मैं विज्ञान विषय की और साहित्य की पुस्तकें खरीद नहीं पाई |

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