Hindi, asked by agnihotrinitu6, 6 months ago

Q.1-
गंतोक में सुबह आँख खुलते ही लेखिका बालकनी
की ओर क्यों दौड़ी?
O माउंट एवरेस्ट देखने के लिए
O धौलागिरी देखने के लिए
O कंचनजंघा देखने के लिए
O
अमरनाथ की गुफा देखने के लिए​

Answers

Answered by syed2020ashaels
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Answer:

कंचनजंघा देखने के लिए

Explanation:

लेखिका मधु कांकरिया (Madhu Kankariya) ने अपने यात्रा-वृतान्त में गैंगटॉक से लेकर हिमालय तक की यात्रा में प्राकृतिक दृश्य के वर्णन के साथ-साथ उन दृश्यों को भी छुआ है जिसमें विषम (कठिन) परिस्थितियों में भी पुरुष और महिलाएँ जीवन संघर्ष में लगी रहती है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि लेखिका के हृदय में उनके प्रति करुणा है। उनके प्रति वे सहृदय है, क्योंकि उसका मन प्रकृति की मनोहारी छटा देखने से अधिक जोखिम भरे कार्यों को करती हुई महिलाओं की ओर देखने में लगता है।

लेखिका को गैंगटॉक शहर देखकर ऐसा लगता है कि आसमान की सुन्दरता नीचे बिखर गई है और सभी तारे नीचे बिखर कर टिमटिमा रहे हैं। बादशाहों का एक ऐसा शहर जिसका सुबह, शाम, रात सब कुछ बहुत ही सुन्दर था। सुबह होते ही एक प्रार्थना उनके होठों को छूने लगी-साना-साना हाथ जोड़ि, गर्दहु प्रार्थना। हाम्रो जीवन तिम्रो कौसेली। (छोटे-छोटे हाथ जोड़कर प्रार्थना कर रही हूँ कि मेरा सारा जीवन अच्छाइयों को समर्पित हो) लेखिका ने प्रार्थना की इस लाइन को आज सुबह ही एक नेपाली युवती से सीखे थे। सबसे ऊँची चोटी कंचनजंघा। किन्तु पिछले वर्ष की तरह ही आज भी आसमान हल्के-हल्के बादलों में ढका था। कंचनजंघा तो नहीं दिखाई दी किन्तु तरह-तरह के रंग-बिरंगे इतने सारे फूल दिखाई दिए कि लगा कि फूलों के बाग में आ गई हूँ।

यूमथांग गैंगटॉक से 149 कि.मी. दूर था। जिसके बारे में ड्राइवर जितेन नार्गे बता रहा था कि सारे रास्ते में हिमालय की गहनतम घाटियाँ और फूलों से लदी वादियाँ मिलेंगी और लेखिका उससे पूछने लगी थी-‘क्या वहाँ बर्फ मिलेगी?

यूमथांग के रास्ते में एक कतार में सफेद रंग की 108 पताकाएँ लगी थी जो शान्ति और अहिंसा के प्रतीक थे। इन सभी पताकाओं के ऊपर मन्त्र लिखे थे। जिनके बारे में नार्गे ने बताया था कि यहाँ बुद्ध की बड़ी मान्यता है। जब भी किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु होती है, तो उनकी आत्मा की शान्ति के लिए शहर से दूर किसी पवित्र स्थान पर ये 108 पताकाएँ फहरा दी जाती हैं। इन्हें उतारा नहीं जाता है। ये पताकाएँ अपने आप धीरे-धीरे नष्ट हो जाती हैं। कई बार नए कार्य की शुरुआत के लिए भी ऐसी पताकाएँ लगा दी जाती है परन्तु वे रंगीन होती हैं। नार्गे बोलते जा रहा था किन्तु लेखिका नार्गे की जीप में लगी दलाई लामा की तस्वीर की ओर देखे जा रही थी। लेखिका ऐसी दलाई लामा की तस्वीरें दुकानों पर भी टंगी देखी थीं।

brainly.in/question/26160216

#SPJ2

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