Q1 . " राजनीति प्रणाली का मुख्य कार्य इनपुट को आउटपुट में तबदील करना है । ( David Eastern ) चर्चा करें
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Answer:
डेविड ईस्टन ने आधुनिक काल में इस पद्धति का प्रतिपादन किया, जो उनका महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है।
Explanation:
ईस्टन का मत है कि सत्ताधारियों के निर्णय व नीतियां निर्गत रूप से पुनः पर्यावरण में प्रवेश कर जाते हैं और उसमें परिवर्तन करके पुनः समाज में नई मांगे निवेश के रूप में उठ खड़ी होती हैं। इस कार्य को ईस्टन ने फीडबैक या पुनर्निवेश की संज्ञा दी है। इस प्रकार निवेश रूपांतरण तथा निर्गत की यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। ईस्टन का मत है कि राजनीतिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए निवेश रूपांतरण और निर्गत की इस प्रक्रिया का सदा चलते रहना आवश्यक है। ईस्टन ने इसे एक चार्ट के माध्यम से समझाने की कोशिश की है जो इस प्रकार है।
1) राजनीतिक व्यवस्था में निवेश – इसमें ईस्टन ने दो बातों की व्याख्या की है – मांग तथा समर्थन। पहला, मांग। प्रत्येक राजनीतिक व्यवस्था में हर समय असंख्य इच्छायें, आकांक्षायें, आवश्यकतायें तथा अपेक्षायें विद्यमान रहती हैं। इसमें से केवल कुछ मांगे जैसे सार्वजनिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, चिकित्सा व शिक्षा आदि ही राजनीतिक प्रणाली में प्रवेश कर पाती हैं और शेष रास्ते में ही खो जाती हैं या नियामक तंत्र द्वारा नियंत्रित कर दी जाती हैं। ईस्टन कहता है कि इन मांगों को उजागर करने का कार्य राजनीतिक दल, समाचार पत्र, हित समूह आदि के द्वारा होता है।
2) मांगों का रूपांतरण – रूपांतरण वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा निवेश को निर्गत में परिवर्तित किया जाता है। मांगों को व्यवस्था के सामने रखने का कार्य राजनीतिक दल, दबाव समूह तथा अन्य प्रतिनिधियों के द्वारा किया जाता है। सत्ताधारी इन मांगों के आधार पर पक्ष या विपक्ष में निर्णय लेते हैं और इस प्रकार मांगों का रुप बदल दिया जाता है। राजनीतिक व्यवस्था में रूपांतरण प्रक्रिया अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इसके द्वारा ही शासकों का समर्थन बढ़ता है या घटता है।
3) राजनीतिक व्यवस्था के निर्गत – निर्गत उन नियमों तथा नीतियों को कहते हैं, जो निवेश के रूपांतरण के पश्चात् हमें प्राप्त होती है, अर्थात् निवेश को निर्गत में बदलने के लिए व्यवस्था के सामने लाया जाता है। राजनीतिक व्यवस्था इन निवेशों पर निर्णय लेती है ,और उत्पादित वस्तुओं के रूप में इन्हें बाहर निकाल देती है। इस प्रकार निर्गत व्यक्तियों द्वारा रखी गई मांगों पर राजनीतिक व्यवस्था द्वारा किये गये निर्णय होते हैं।