Hindi, asked by BrainlyHelper, 1 year ago

"Question 1 भाव स्पष्ट कीजिए − नत शिर होकर सुख के दिन में तव मुख पहचानूँ छिन-छिन में।

Class 10 - Hindi - आत्मत्राण Page 49"

Answers

Answered by nikitasingh79
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प्रस्तुत पंक्तियां कवि रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखित तथा आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा अनूदित कविता आत्मत्राण से ली गई है। इस कविता में कवि ने ईश्वर से आत्मिक एवं मानसिक शक्ति देने की प्रार्थना की है।

इन पंक्तियों में कवि कहता है कि सुख के दिनों में भी उसे किसी तरह का घमंड ना हो वह विनम्र रहे तथा भगवान में उसकी आस्था पहले जैसे ही बनी रहे। कभी कहना चाहता है कि वह सुख के दिनों में भी अपने सिर को झुका कर अत्यंत विनम्र भाव से भगवान की छवि को हर पल निहारता रहे। ईश्वर में उसका विश्वास जरा भी कम ना हो। ईश्वर से प्रार्थना करता है कि वह सुख के नशे में डूब कर उन्हें कभी ना भूले।
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