"Question 2 भाव स्पष्ट कीजिए − हानि उठानी पड़े जगत् में लाभ अगर वंचना रही तो भी मन में ना मानूँ क्षय।
Class 10 - Hindi - आत्मत्राण Page 49"
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प्रस्तुत पंक्तियां कवि रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखित तथा आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा अनूदित कविता आत्मत्राण से ली गई है। इस कविता में कवि ने ईश्वर से आत्मिक एवं मानसिक शक्ति देने की प्रार्थना की है।
इन पंक्तियों में कवि ने भगवान से प्रार्थना की है कि कठिन परिस्थितियों में भी उसका मन हार ना माने। कभी कहना चाहता है कि उसे संसार में पग पग पर हानि उठाना स्वीकार हैऔर यदि उसे लाभ के स्थान पर धोखा मिले तो भी वह नहीं घबराएगा। वह क्यों इतना चाहता है कि ऐसी मुसीबत की घड़ी में भी उसका मन ना सारे। यदि उसका मन हार गया तो फिर उसके जीवन में कुछ भी नहीं बचेगा। अतः कवि ने यहां ईश्वर से मानसिक शक्ति देने की प्रार्थना की है।==========================================================
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इन पंक्तियों में कवि ने भगवान से प्रार्थना की है कि कठिन परिस्थितियों में भी उसका मन हार ना माने। कभी कहना चाहता है कि उसे संसार में पग पग पर हानि उठाना स्वीकार हैऔर यदि उसे लाभ के स्थान पर धोखा मिले तो भी वह नहीं घबराएगा। वह क्यों इतना चाहता है कि ऐसी मुसीबत की घड़ी में भी उसका मन ना सारे। यदि उसका मन हार गया तो फिर उसके जीवन में कुछ भी नहीं बचेगा। अतः कवि ने यहां ईश्वर से मानसिक शक्ति देने की प्रार्थना की है।==========================================================
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