Hindi, asked by BrainlyHelper, 1 year ago

"Question 1 भाव स्पष्ट कीजिए − सहानुभूति चाहिए, महाविभूति है यही; वशीकृता सदैव है बनी हुई स्वयं मही। विरुद्धवाद बुद्ध का दया-प्रवाह में बहा, विनीत लोकवर्ग क्या न सामने झुका रहा?

Class 10 - Hindi - मनुष्यता Page 22"

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Answered by nikitasingh79
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प्रसंग:प्रस्तुत पद्यांश राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित कविता मनुष्यता से लिया गया है। इसमें कवि ने मनुष्य को परोपकार करने की प्रेरणा देते हुए दूसरों के प्रति करुणा भाव रखने की बात कही है।


व्याख्या:अभी कहता है कि जिस मनुष्य के हृदय में दूसरे प्राणियों के लिए अनुभूति का भाव है वह धनी है। दूसरों के प्रति सहानुभूति ही सबसे बड़ी पूंजी है। जो मनुष्य दूसरों के प्रति सहानुभूति रखता है वह सभी को वश में कर सकता है। यह संपूर्ण पृथ्वी अपने आप उसके वश में हो जाती है। कभी महात्मा बुद्ध की करुणा पूर्ण व्यवहार के विषय में कहता है कि उन्होंने प्राणी मात्र के प्रति करुणा का भाव होने के कारण ही तत्कालीन  पारंपरिक मान्यताओं का विरोध किया था। उनके इस कार्य से सारा संसार उनके सामने विनम्र हो कर झुक गया। कभी पुनः कहता है कि जो मनुष्य दूसरों का भला करता है वही उदार हृदय वाला है सच्चा मनुष्य वही है जो दूसरों के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर देता है।

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Answered by kadith32
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Explanation:

2) कि से मुझको कि नहीं है।‘कि’ के वभन्नाथथविवखए। ( )

A)आनेवािा कि, चाि B)बीता हुआ फदन, चैन C)मशीन, यंत्र D) यंत्र, रात

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