"Question 1 निबंध में आपने ये पंक्तियाँ पढ़ी हैं-'मैं अपने शाल में लपेटकर उसे संगम ले गई। जब गंगा की बीच धार में उसे प्रवाहित किया गया तब उसके पंखों की चंद्रिकाओं से बिंबित-प्रतिबिंबित होकर गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर के समान तरंगित हो उठा।'-इन पंक्तियों में एक भावचित्र है। इसके आधार पर कल्पना कीजिए और लिखिए कि मोरपंख की चंद्रिका और गंगा की लहरों में क्या-क्या समानताएँ लेखिका ने देखी होंगी जिसके कारण गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर पंख के समान तरंगित हो उठा।
Class 7 - Hindi - नीलकंठ Page 117"
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लेखिका नीलकंठ को गंगा में प्रवाहित करने के लिए ले जाती है। जब वह नीलकंठ को गंगा में छोड़ती है तो उसके पंख गंगा की लहरों में चारों ओर फैल जाते हैं। उस दृश्य को देखकर लेखिका को लगता है कि गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर के पंख में परिवर्तित हो गया है। धूप में गंगा की लहरें ऊपर-नीचे उड़ते हुए कई रंगों और अनुभवों से परिचित कराती है। ऐसे ही जब मोर के पंखों पर सूरज की किरणें पड़ती है तो पंखों पर बनी चंद्रिकाएं अधिक चमकीली और धूपछांई हो जाती हैं। इसलिए गंगा की लहरों में फैले हुए पंखों के रंगों से सारा गंगापाट एक विशाल मयूर पंख के समान लगता है।
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मृतक मोर नीलकंठ को जब लेखिका ने संगम ले जाकर गंगा की बीच धार में प्रवाहित किया तो मोर का शरीर वजनदार होने के कारण पानी में डूब गया होगा। पंख बहुत हल्के होते है इसलिए पंखों की चंद्रिकाएं पानी में फैल गई होंगी। चंद्रिकाओं के फैलने की वजह से ऐसा लग रहा होगा कि गंगा का चौड़ा पाट एक बड़े मोर पंख के समान सभी रंगों से तरंगित हो गया है।
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