"Question 2 विस्मयाभिभूत शब्द विस्मय और अभिभूत दो शब्दों के योग से बना है। इसमें विस्मय के य के साथ अभिभूत के अ के मिलने से या हो गया है। अ आदि वर्ण हैं। ये सभी वर्ण-ध्वनियों में व्याप्त हैं। व्यंजन वर्णों में इसके योग को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जैसे- क्+अ = क इत्यादि। अ की मात्रा के चिह्न (ा) से आप परिचित हैं। अ की भाँति किसी शब्द में आ के भी जुड़ने से अकार की मात्रा ही लगती है, जैसे- मंडल + आकार= मंडलाकार। मंडल और आकार की संधि करने पर(जोड़ने पर) मंडलाकार शब्द बनता है और मंडलाकार शब्द का विग्रह करने पर (तोड़ने पर) मंडल और आकार दोनों अलग होते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के संधि-विग्रह कीजिए- संधिविग्रह नील + आभ = ...................... सिंहासन = .............................. नव + आगंतुक = ................... मेघाच्छन्न = ..............................
Class 7 - Hindi - नीलकंठ Page 117"
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संधि---
संधि का सामान्य अर्थ है मिलना या जुड़ना। लेकिन भाषा के अध्ययन में वर्णों के परिवर्तित मेल को संधि कहते हैं अर्थात दो वर्णों के पास पास आने से उनमें जो विकार सहित मेल होता है उसे संधि कहते हैं।
संधि विच्छेद--
दो वर्णों के मेल से बनने वाले शब्द को पुनः पहली वाली अवस्था में लाना संधि विच्छेद कहलाता है।
उत्तर:
संधि-
१.नील+ आभ --- नीलाभ
२. नव + आगुंतक-- नवागुंतक
विग्रह:
१. सिंहासन-- सिंह + आसन
२. मेघाच्छन्--- मेघ + आछन्न
संधि का सामान्य अर्थ है मिलना या जुड़ना। लेकिन भाषा के अध्ययन में वर्णों के परिवर्तित मेल को संधि कहते हैं अर्थात दो वर्णों के पास पास आने से उनमें जो विकार सहित मेल होता है उसे संधि कहते हैं।
संधि विच्छेद--
दो वर्णों के मेल से बनने वाले शब्द को पुनः पहली वाली अवस्था में लाना संधि विच्छेद कहलाता है।
उत्तर:
संधि-
१.नील+ आभ --- नीलाभ
२. नव + आगुंतक-- नवागुंतक
विग्रह:
१. सिंहासन-- सिंह + आसन
२. मेघाच्छन्--- मेघ + आछन्न
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Answer:सिंहासन = सिंह+आसन
नव+ आगंतुक = नवागंतुक
मेघाच्छन्न= मेघ+ आच्छन्न्
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