"Question 7 नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से किस तरह बचाया? इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
Class 7 - Hindi - नीलकंठ Page 117"
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एक दिन एक सांप ने खरगोश के बच्चे को निकालने का प्रयास किया। खरगोश के बच्चे के मुंह से निकली चीं -चीं की धीमी आवाज चौकन्ने मोर के कानों में पहुंच गई। वह फुर्ती से वहां आया और अपनी बुद्धिमता से खरगोश के बच्चे को सांप के मुंह से बचा लिया। नीलकंठ के स्वभाव की प्रमुख विशेषताएं थी-
१. संरक्षक:
नीलकंठ स्वयं को गाली घर के सब जीवन का सेनापति समझता था। सभी उसका अनुकरण करते थे। पक्षियों को उनकी गलती पर दंड देना और उनकी देखभाल करना वह अपना कर्तव्य समझता था। वह एक संरक्षक की भूमिका निभाता था।
२. चौकन्ना:
नीलकंठ जाली घर से दूर भी बैठा होता था परंतु उसके कान अन्य पक्षियों के क्रिया-कलापों पर लगे रहते थे। इसलिए सांप द्वारा खरगोश के बच्चे को दबोचने पर धीमी आवाज में की गई चीं- चीं से दूर पेड़ पर बैठे नीलकंठ के कानों में पहुंच गई। इससे पता चलता है कि वह पल पल चौकन्ना रहता था।
३. फुर्तीला:
नीलकंठ और फुर्तीला था। खरगोश के बच्चे का रोना सुनकर वह बहुत फुर्ती से जाली घर में पहुंचा। उसके पहुंचे तक अभी खरगोश के बच्चे का पिछला भाग ही सांप के मुंह में था ।
४. बुद्धिमान:
नीलकंठ में खरगोश के बच्चे को सांप के मुंह से छुड़ाने में बुद्धिमानी से काम लिया। नीलकंठ में सीधे सांप के फन पर प्रहार नहीं किया क्योंकि उसने समझ लिया था कि ऐसा करने पर खरगोश का बच्चा घायल हो सकता है। उसने सांप को फन के पास पंजों से दबाया और बाद में जोर से प्रहार किया। इससे सांप अधमरा हो गया। इस तरह खरगोश का बच्चा उसके मुंह से छूट गया।
५. बहादुर:
नीलकंठ बहुत बहादुर था। उसने अपनी बुद्धि तथा बल से खरगोश के बच्चे को बचा लिया और सांप को मार दिया।
१. संरक्षक:
नीलकंठ स्वयं को गाली घर के सब जीवन का सेनापति समझता था। सभी उसका अनुकरण करते थे। पक्षियों को उनकी गलती पर दंड देना और उनकी देखभाल करना वह अपना कर्तव्य समझता था। वह एक संरक्षक की भूमिका निभाता था।
२. चौकन्ना:
नीलकंठ जाली घर से दूर भी बैठा होता था परंतु उसके कान अन्य पक्षियों के क्रिया-कलापों पर लगे रहते थे। इसलिए सांप द्वारा खरगोश के बच्चे को दबोचने पर धीमी आवाज में की गई चीं- चीं से दूर पेड़ पर बैठे नीलकंठ के कानों में पहुंच गई। इससे पता चलता है कि वह पल पल चौकन्ना रहता था।
३. फुर्तीला:
नीलकंठ और फुर्तीला था। खरगोश के बच्चे का रोना सुनकर वह बहुत फुर्ती से जाली घर में पहुंचा। उसके पहुंचे तक अभी खरगोश के बच्चे का पिछला भाग ही सांप के मुंह में था ।
४. बुद्धिमान:
नीलकंठ में खरगोश के बच्चे को सांप के मुंह से छुड़ाने में बुद्धिमानी से काम लिया। नीलकंठ में सीधे सांप के फन पर प्रहार नहीं किया क्योंकि उसने समझ लिया था कि ऐसा करने पर खरगोश का बच्चा घायल हो सकता है। उसने सांप को फन के पास पंजों से दबाया और बाद में जोर से प्रहार किया। इससे सांप अधमरा हो गया। इस तरह खरगोश का बच्चा उसके मुंह से छूट गया।
५. बहादुर:
नीलकंठ बहुत बहादुर था। उसने अपनी बुद्धि तथा बल से खरगोश के बच्चे को बचा लिया और सांप को मार दिया।
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Explanation:
अब उसने बहुत सतर्क होकर साँप के फन के पास पंजों से दबाया और फिर अपनी चोंच से इतने प्रहार उस पर किए कि वह अधमरा हो गया और फन की पकड़ ढीली होते ही खरगोश का बच्चा मुख से निकल आया। इस प्रकार नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से बचाया। ... साहसी – नीलकंठ साहसी प्राणी है।
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