"Question 1 निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए − नेचर की सहनशक्ति की एक सीमा होती है। नेचर के गुस्से का एक नमूना कुछ साल पहले बंबई में देखने को मिला था।
Class 10 - Hindi - अब कहाँ दूसरे के दुख से ... Page 115"
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यह पंक्तियां पाठ ‘अब कहां दूसरे के दुख से दुखी होने वाले’ से ली गई है इसके लेखक निदा फ़ाज़ली हैं।
लेखक का आशय है कि नेचर अर्थात प्रकृति भी एक सीमा पर सब कुछ सहन करती है। जब मनुष्य प्रकृति से अधिक छेड़छाड़ करता है तो वह उसे अवश्य सजा देती है। जब प्रकृति को गुस्सा आता है तो वह भारी तबाही मचा देती है। कुछ साल पहले मुंबई में भी प्रकृति के ऐसे ही गुस्से का एक उदाहरण देखने को मिला था। तब समुंदर ने 3 समुद्री जहाजों को मुंबई के तीन अलग-अलग स्थानों पर फेंक कर अपने गुस्से को व्यक्त किया था। प्रकृति का गुस्सा अत्यंत भयानक होता है। अतः मनुष्य को प्रकृति के साथ अधिक छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए।
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आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा
लेखक का आशय है कि नेचर अर्थात प्रकृति भी एक सीमा पर सब कुछ सहन करती है। जब मनुष्य प्रकृति से अधिक छेड़छाड़ करता है तो वह उसे अवश्य सजा देती है। जब प्रकृति को गुस्सा आता है तो वह भारी तबाही मचा देती है। कुछ साल पहले मुंबई में भी प्रकृति के ऐसे ही गुस्से का एक उदाहरण देखने को मिला था। तब समुंदर ने 3 समुद्री जहाजों को मुंबई के तीन अलग-अलग स्थानों पर फेंक कर अपने गुस्से को व्यक्त किया था। प्रकृति का गुस्सा अत्यंत भयानक होता है। अतः मनुष्य को प्रकृति के साथ अधिक छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए।
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नेचर की सहनशक्ति की एक सीमा होती है। नेचर के गुस्से का एक नमूना कुछ साल पहले बंबई में देखने को मिला था। उपर्युक्त पंक्तियों का आशय यह है कि हर एक की अपनी सहनशक्ति की सीमा होती है फिर चाहे वह प्रकृति हो या इंसान। प्रकृति के साथ मनुष्य खिलवाड़ करता रहा है परन्तु प्रकृति की भी एक हद तक सहन करने की शक्ति होती है।
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