"Question 2 दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और यासुकी-चान को अपूर्व अनुभव मिला, इन दोनों के अपूर्व अनुभव कुछ अलग-अलग थे। दोनों में क्या अंतर रहे? लिखिए।
Class 7 - Hindi - अपूर्व अनुभव Page 81"
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तोत्तो - चान और यासुकी - चान ने अप पूर्व साहस का परिचय दिया था पर दोनों के अनुभव निश्चित रूप से एक दूसरे से भिन्न थे।यासुकी - चान में शारीरिक क्षमता की कमी थी पर मानसिक बल बहुत अधिक था। उसे अपने मानसिक शक्ति और तोत्तो - चान की प्रेरणा भरी कोशिश से अपनी शारीरिक अक्षमता को हरा दिया था।तोत्तो - चान साहसी थी उसके परिश्रम में प्रेरणा देने का भाव छिपा हुआ था।तोत्तो - चान चाहती थी कि यासुकी - चान वह काम कर दिखाएं जो वह करना चाहता था। वह उसे पेट की ऊंचाई से वह सब दिखाना चाहती थी जो यासुकी - चान देखना चाहता था। एक को सफलता प्राप्त करने के प्रसंता थी तो दूसरे को सफलता दिलाने की खुशी थी।
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तोत्तो-चान का अनुभव – तोत्तो-चान स्वयं तो रोज ही अपने निजी पेड़ पर चढ़ती थी और खुश होती थी परंतु आज पोलियो से ग्रस्त अपने मित्र यासुकी-चान को पेड़ की द्विशाखा तक पहुँचाने से उसे प्रसन्नता के साथ-साथ अपूर्व आत्म संतुष्टि भी प्राप्त हुई।
यासुकी-चान का अनुभव – यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ कर अत्यधिक प्रसन्नता हुई उसकी मन की इच्छा पूरी हो गई। उसने पेड़ पर चढ़कर दुनिया को निहारा।
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