"Question 3 निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए − हमारे जीवन की रफ़्तार बढ़ गई है। यहाँ कोई चलता नहीं बल्कि दौड़ता है। कोई बोलता नहीं, बकता है। हम जब अकेले पड़ते हैं तब अपने आपसे लगातार बड़बड़ाते रहते हैं।
Class 10 - Hindi - पतझर में टूटी पत्तियाँ Page 123"
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यह पंक्तियां गिन्नी का सोना पाठ से ली गई है इसके लेखक रविंद्र केलेकर है।
यहां लेखक ने अपने जापानी मित्र के माध्यम से जापान के लोगों के बारे में बताया है कि उनके जीवन की रफ्तार अत्यंत तेज़ हैं। वह लोग हमेशा दौड़ते प्रतीत होते हैं। लेखक कहता है कि यह रफ्तार उनके जीवन में ही नहीं अपितु चलने और बोलने में भी है। उनका दिमाग हमेशा कुछ न कुछ सोचता रहता है। वह प्रत्येक पल कुछ न कुछ करते रहते हैं । यहां तक कि जब वह अकेले होते हैं तो भी वह अपने आप से लगातार बड़बडांते रहते हैं।
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आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।
यहां लेखक ने अपने जापानी मित्र के माध्यम से जापान के लोगों के बारे में बताया है कि उनके जीवन की रफ्तार अत्यंत तेज़ हैं। वह लोग हमेशा दौड़ते प्रतीत होते हैं। लेखक कहता है कि यह रफ्तार उनके जीवन में ही नहीं अपितु चलने और बोलने में भी है। उनका दिमाग हमेशा कुछ न कुछ सोचता रहता है। वह प्रत्येक पल कुछ न कुछ करते रहते हैं । यहां तक कि जब वह अकेले होते हैं तो भी वह अपने आप से लगातार बड़बडांते रहते हैं।
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I absolutely like above answer and suggest everyone to go through with that..
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