"Question 4 स्काउट परेड करते समय लेखक अपने को महत्वपूर्ण 'आदमी' फ़ौजी जवान क्यों समझने लगता था?
Class 10 - Hindi - सपनों के-से दिन Page 30"
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लेखक को अपने स्कूल में यदि कोई अच्छा लगता था तो वह था स्काउट परेड। स्काउट परेड के लिए धोबी से धुले खाकी वर्दी और पॉलिश किए जूते पहनने को मिलते थे। परेड करते समय मास्टर प्रीतम चंद सीटी बजाते हुए लेफ्ट राइट, राइट या लेफ्ट राइट, अबाउट टर्न कहते थे। उस समय छोटे बूटों की एड़ियों पर दाएं बाएं या एकदम पीछे मुड़कर बूटों की ठक ठक से आगे बढ़ते जाना उन्हें अच्छा लगता था। उस समय वह स्वयं को विद्यार्थी नहीं फौजी जवान समझते थे।
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Answer:
लेखक गुरदयाल सिंह फौज़ी बनना चाहता था। उसने फुल बूट और शानदार वर्दी पहने लेफ्ट-राइट करते फौज़ी जवानों की परेड को देखा था। इसी कारण स्काउट परेड के समय धोबी की धुली वर्दी, पालिश किए बूट तथा जुराबों को पहन वह स्वयं को फौज़ी जवान ही समझता था। स्काउट परेड में जब पीटी मास्टर लेफ्ट राइट की आवाज या मुँह की सीटी बजाकर मार्च करवाया करते थे तथा उनके राइट टर्न या लेफ्ट टर्न या अबाऊट टर्न कहने पर लेखक अपने छोटे-छोटे बूटों की एड़ियों पर दाएँ-बाएँ या एक कदम पीछे मुड़कर बूटों की ठक-ठक की आवाज़ करते हुए स्वयं को विद्यार्थी न समझकर एक महत्त्वपूर्ण फौजी समझने लगता था।
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