"Question 9 निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए − नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए − जलते नभ में देख असंख्यक, स्नेहहीन नित कितने दीपक; जलमय सागर का उर जलता, विद्युत ले घिरता है बादल! विहँस विहँस मेरे दीपक जल! (क) 'स्नेहहीन दीपक' से क्या तात्पर्य है? (ख) सागर को 'जलमय' कहने का क्या अभिप्राय है और उसका हृदय क्यों जलता है? (ग) बादलों की क्या विशेषता बताई गई है? (घ) कवयित्री दीपक को 'विहँस विहँस' जलने के लिए क्यों कह रही हैं?
Class 10 - Hindi - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल Page 34"
Answers
ख)सागर में हर जगह जल-ही जल दिखाई देता है। लेकिन कवियत्री का मानना है कि यद्यपि जल और अग्नि एक साथ नहीं रह सकते फिर भी सागर में अग्नि का निवास होता है। सागर की इस अग्नि को बड़वाग्नि कहते हैं। इसे अग्नि से सागर का हृदय जलता हुआ प्रतीत होता है।
ग)बादलों की विशेषता उसमें छिपी बिजली को बताया गया है।बादल पानी से पूरी तरह से भरा होता है वह बहुत जल बरसाता है किंतु उसके भीतर भी बिजली के रूप में अग्नि का निवास होता है। बादल से जब भी घनघोर वर्षा होती है तो बिजली आवश्यक चमकती है।
घ)विहँस का अर्थ है हंस कर।
कवित्री दीपक से कहती है कि उसे हमेशा जलने में दर्द का अनुभव नहीं होना चाहिए। संसार की सभी वस्तुएं जल रही हैं। सभी में आग विद्यमान है। आकाश के तारे, समुंदर, बादल किसी न किसी अग्नि में जल रहे हैं। अतः कवियत्री ने दीपक को जलने में पीड़ा का अनुभव न करके हंसने के लिए कहा है।
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आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।
Answer:
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(क) स्नेहहीन दीपक से तात्पर्य बिना तेल यानी प्रेम रहित दीपक| अर्थात यानी ऐसे लोग जिनके मन हृदय में प्रभुभक्ति और स्नेह नहीं है|
(ख) सागर का अर्थ है संसार| संसार पूरी तरह से जलमय है यानी विभिन्न प्रकार की सुविधाओं से भरा पड़ा है| परन्तु उसका हृदय जलता है यानि सुख सुविधाओं से परिपूर्ण होते हुए भी मनुष्यों के भीतर ईर्ष्या-द्वेष, अहंकार आदि भावनाओं से जल रहे हैं|
(ग) बादल विद्युत से घिरा हुआ है|
(घ) कवयित्री दीपक को पूरे उत्साह और प्रसन्नता के साथ जलने के लिए कहती हैं ताकि ये पूरे संसार को परमात्मा का पथ दिखा सके|