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16. शुरुआती अवस्था में वैश्वीकरण (ग्लोबलाइजेशन) भारत जैसे औपनिवेशिक देशों से कच्चे माल के निर्यात
और विकसित यूरोपीय देशों और यूएसए से निर्मित माल के आयात तक सीमित था।
विश्लेषण करें तथा ऐसे विकल्प का चयन करिए जो बीसवीं शताब्दी में अर्थव्यवस्था में परिवर्तन का कारक था
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वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था
वैश्वीकरण: आज पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था आपस मे जुड़ी हुई है। विश्व के विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्था के इस परस्पर जुड़ाव को वैश्वीकरण या ग्लोबलाइजेशन कहते हैं। इसे समझने के लिये नाइकी नामक कंमनी का उदाहरण लेते हैं। यह कम्पनी अपने जूतों के लिये मशहूर है। यह कम्पनी अमेरिका की है लेकिन इस कम्पनी के जूते दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में बनते हैं। नाइकी के जूते लगभग हर देश में बेचे जाते हैं। इससे साफ पता चलता है कि एक उत्पाद के बनने और ग्राहकों तक पहुँचने के दौरान जितनी आर्थिक क्रियाएँ होती हैं, उनमें से विभिन्न क्रियाएँ दुनिया के विभिन्न देशों में सम्पन्न होती हैं। यह ग्लोबलाइजेशन का एक बेहतरीन नमूना है। इसलिए आज यदि मध्य एशिया में कोई उथलपुथल होती है तो उसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।
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