राज्य विधानमंडल में साधारण विधेयक के पारित होने की प्रक्रिया बतलाइए।
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राज्य के विधान मंडल को उन सभी विषय पर कानून बनाने की अधिकार प्राप्त है, जो राज्य सूची और समवर्ती सूची में दिए गए हैं। कोई भी आम विधेयक तो राज्य विधानमंडल के किसी भी सदन में प्रस्तावित किया जा सकता है परंतु इसकी अंतिम शक्ति विधानसभा के पास ही होती है।
साधारण विधेयक विधानमंडल के दोनों सदनों में स्वीकृत होना चाहिए। यदि कोई विधेयक विधानसभा में पारित हो जाए लेकिन विधान परिषद उसे अस्वीकृत कर दें तो या विधान परिषद इसमें कोई संशोधन करती है तो वह विधेयक पारित नहीं किया जाता है। विधानसभा विधेयक में संशोधन करके पुनः स्वीकृति के लिए विधान परिषद को भेजती है। यदि विधान सभा दोबारा से विधेयक को अस्वीकृत कर दे या एक माह बाद तक विधेयक पास नहीं करे या फिर ऐसा कोई संशोधन करती है जो विधानसभा को स्वीकार नहीं है, तो यह विधेयक विधान परिषद द्वारा पारित किए बिना ही दोनों सदनों द्वारा पारित समझा जाएगा।
किसी भी साधारण विधेयक पर विधान परिषद केवल चार माह तक रोक लगा सकती है। विधान परिषद को किसी भी विधेयक को समाप्त करने का अधिकार नहीं है। जब विधानमंडल के दोनों सदनों में साधारण विधेयक पारित हो जाता है तो उसे राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाता है। राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद ही कोई विधेयक कानून का रूप लेता है।
Explanation:
विधानमंडल में साधारण कानून बनाने की विधायी प्रक्रिया
तीनों चरणों से गुजरने के बाद किसी विधेयक को दूसरे सदन भेजा जाता है (यदि हो तो)। एक सदनीय व्यवस्था वाले विधानमंडल मे इसे पारित कर सीधे राज्यपाल की स्वीकृत के लिए भेजा जाता है। लेकिन द्विसदनीय व्यवस्था वाले विधानमंडल में दोनों सदनों से उसे पारित होना जरूरी होता है।