राजनीति का अपराधीकरण पर निबंध |Essay on Criminalization of Politics in Hindi
Answers
(निबंध)
विषय — राजनीति का अपराधीकरण
राजनीति में बढ़ता अपराधीकरण अब कोई नई बात नहीं रह गई है अब राजनीति में अपराधीकरण एक सामान्य बात बन गयी है। अब वह समय नही रहा जब राजनीति को एक पवित्र और सेवा भाव क्षेत्र समझा जाता था। आजादी के समय, उससे पूर्व और उसके बाद थोड़े समय तक यही स्थिति रही, परन्तु बाद में राजनीति का स्वरूप बिगड़ता गया, और उसमें अपराधी प्रवृत्ति के लोगों ने दखल देना शुरू कर दिया।
आज आप राजनीति का अपराधीकरण काफी फैल चुका है। भारत की राजनीति में ये अपराधीकरण एक दिन में संभव नहीं हुआ है। जब राजनीति का स्वरूप बिगड़ना शुरु हुआ और आजादी के बाद तब अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए पार्टियां किसी भी हालत जीत हासिल करने के लिए साम-दाम-दंड-भेद के सब हथकंडे अपनाने लगीं तब उन्होंने धनबल का सहारा लेना शुरू कर दिया और धनबल और अपराधी का तो चोली दामन का साथ रहा है। इस कारण राजनीति में अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की घुसपैठ आरंभ हो गई।
हमारी वर्तमान लोकसभा में लगभग 47% सांसद ऐसे हैं जिन पर किसी ना किसी रूप में कोई ना कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज है। पिछली कई लोकसभा में भी कमोबेश यही स्थिति रही। ये स्थिति बहुत भयावह हो चली है यह प्रतिशतता बताती है कि हमारे देश में राजनीति का अपराधीकरण किस गहराई तक हो चुका है।
हालांकि अदालतों आदि ने कुछ सख्त कदम उठाए हैं कुछ नये कानून बने है जिसके कारण अब ऐसा व्यक्ति जो किसी अपराधिक मामले में सजा पा जाता है, वह चुनाव लड़ने योग्य नहीं रहता। हमें हमारे देश में ऐसे ही कुछ और सख्त कानूनों की आवश्यकता है जो देश में आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के प्रवेश पर अंकुश लगाए।
किसी व्यक्ति पर अपराधिक मामला साबित हो और वो सजा पाये यह बाद की बात है, इस प्रक्रिया में बहुत समय लगता है और तब तक आपराधिक लोग राजनीति में बने रहते हैं। इसलिये ऐसा कानून हो कि किसी पर कोई अपराधिक मामला लगता है तो जब तक वह अपराधिक मामले से बरी नहीं हो जाता तब तक उस पर किसी भी तरह के राजनीतिक चुनाव में भाग लेने पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए, तभी राजनीति में अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर कुछ हद तक अंकुश लग पाएगा।
(निबंध)
विषय — राजनीति का अपराधीकरण
राजनीति में बढ़ता अपराधीकरण अब कोई नई बात नहीं रह गई है अब राजनीति में अपराधीकरण एक सामान्य बात बन गयी है। अब वह समय नही रहा जब राजनीति को एक पवित्र और सेवा भाव क्षेत्र समझा जाता था। आजादी के समय, उससे पूर्व और उसके बाद थोड़े समय तक यही स्थिति रही, परन्तु बाद में राजनीति का स्वरूप बिगड़ता गया, और उसमें अपराधी प्रवृत्ति के लोगों ने दखल देना शुरू कर दिया।
आज आप राजनीति का अपराधीकरण काफी फैल चुका है। भारत की राजनीति में ये अपराधीकरण एक दिन में संभव नहीं हुआ है। जब राजनीति का स्वरूप बिगड़ना शुरु हुआ और आजादी के बाद तब अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए पार्टियां किसी भी हालत जीत हासिल करने के लिए साम-दाम-दंड-भेद के सब हथकंडे अपनाने लगीं तब उन्होंने धनबल का सहारा लेना शुरू कर दिया और धनबल और अपराधी का तो चोली दामन का साथ रहा है। इस कारण राजनीति में अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की घुसपैठ आरंभ हो गई।
हमारी वर्तमान लोकसभा में लगभग 47% सांसद ऐसे हैं जिन पर किसी ना किसी रूप में कोई ना कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज है। पिछली कई लोकसभा में भी कमोबेश यही स्थिति रही। ये स्थिति बहुत भयावह हो चली है यह प्रतिशतता बताती है कि हमारे देश में राजनीति का अपराधीकरण किस गहराई तक हो चुका है।
हालांकि अदालतों आदि ने कुछ सख्त कदम उठाए हैं कुछ नये कानून बने है जिसके कारण अब ऐसा व्यक्ति जो किसी अपराधिक मामले में सजा पा जाता है, वह चुनाव लड़ने योग्य नहीं रहता। हमें हमारे देश में ऐसे ही कुछ और सख्त कानूनों की आवश्यकता है जो देश में आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के प्रवेश पर अंकुश लगाए।
किसी व्यक्ति पर अपराधिक मामला साबित हो और वो सजा पाये यह बाद की बात है, इस प्रक्रिया में बहुत समय लगता है और तब तक आपराधिक लोग राजनीति में बने रहते हैं। इसलिये ऐसा कानून हो कि किसी पर कोई अपराधिक मामला लगता है तो जब तक वह अपराधिक मामले से बरी नहीं हो जाता तब तक उस पर किसी भी तरह के राजनीतिक चुनाव में भाग लेने पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए, तभी राजनीति में अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर कुछ हद तक अंकुश लग पाएगा l ...