Hindi, asked by hardikzala1482, 1 year ago

रेलवे स्टेशन का दृश्य पर निबंध | Write an essay on Railway Station in Hindi

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Answered by coolthakursaini36
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                                   “रेलवे स्टेशन का दृश्य”

जैसी मैं रेलवे प्लेटफार्म पर पहुंचा मेरे आश्चर्य का ठिकाना ना रहा कि आज इतनी जनता कहां से आई, और कहां जाएगी। रेलवे स्टेशन पर इतनी भीड़ थी कि पांव रखना भी मुश्किल हो रहा था। रेलवे स्टेशन के कर्मचारी अपने-अपने काम में व्यस्त थे।

मैं धीरे-धीरे उस प्लेटफार्म पर पहुंचा जहां से मैंने गाड़ी में सवार होना था। लोग प्लेटफार्म पर इस प्रकार बिस्तर लगाए हुए थे कि मानो  अपने घर में बैठकर आराम कर रहे हो। कुछ लोग खाना खाने में मशगूल थे और कुछ समाचार पत्र पढ़ रही थे। कुछ लोग आपस में वाद-विवाद कर रहे थे। भीड़ को चीरते हुए मैं भी जैसे तैसे अपनी गाड़ी में पहुंच गया।

अभी मैं बैठा ही था कि एक व्यक्ति जोर से चिल्लाते चिल्लाते इधर उधर भाग रहा था पूछने पर मालूम हो कि कुली को सम्मान दिया, और आप उसके पीछे था कि वह कहीं भटक गया। तभी अचानक उन्हें कुली मिला और उन्होंने राहत की सांस ली।

कभी एक गाड़ी आती कभी दूसरी जाती लोगों का आवागमन जारी था। जैसे तैसे रेल के चलने का समय हो गया। रेल का हार्न जोर से बजा और धीरे-धीरे छुक-छुक करती आगे बढ़ने लगी। कुछ लोग हमारी तरफ आशा भरी नजरों से देख रहे थे आप तो जा रहे हो हमारी गाड़ी कब आएगी। मेरी बगल की सीट पर एक बहुत ही वृद्ध व्यक्ति बैठे थे उनके हाथ में किताब थी जो वह उसे पढ़ रहे थे।

जब अधिकारी ने टिकट मांगा तो मैं अपनी जेब टटोलने लगा मेरी जेब में टिकट ना मिली तो मैं घबरा गया। फिर मैंने अपने बैग में ध्यान से देखा तो मुझे टिकट मिली और मैंने राहत भरी सांस ली।

रेल यात्रा के अनुभव मेरे लिए थोड़ा कष्टप्रद रहा क्योंकि लोगों की बहुत भीड़ थी।

सरकार को चाहिए कि रेलवे प्लेटफार्म पर अच्छी सी व्यवस्था करें ताकि लोगों को आने-जाने में परेशानी ना हो।


Answered by sardarg41
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Answer:जैसी मैं रेलवे प्लेटफार्म पर पहुंचा मेरे आश्चर्य का ठिकाना ना रहा कि आज इतनी जनता कहां से आई, और कहां जाएगी। रेलवे स्टेशन पर इतनी भीड़ थी कि पांव रखना भी मुश्किल हो रहा था। रेलवे स्टेशन के कर्मचारी अपने-अपने काम में व्यस्त थे।

मैं धीरे-धीरे उस प्लेटफार्म पर पहुंचा जहां से मैंने गाड़ी में सवार होना था। लोग प्लेटफार्म पर इस प्रकार बिस्तर लगाए हुए थे कि मानो अपने घर में बैठकर आराम कर रहे हो। कुछ लोग खाना खाने में मशगूल थे और कुछ समाचार पत्र पढ़ रही थे। कुछ लोग आपस में वाद-विवाद कर रहे थे। भीड़ को चीरते हुए मैं भी जैसे तैसे अपनी गाड़ी में पहुंच गया।

अभी मैं बैठा ही था कि एक व्यक्ति जोर से चिल्लाते चिल्लाते इधर उधर भाग रहा था पूछने पर मालूम हो कि कुली को सम्मान दिया, और आप उसके पीछे था कि वह कहीं भटक गया। तभी अचानक उन्हें कुली मिला और उन्होंने राहत की सांस ली।

कभी एक गाड़ी आती कभी दूसरी जाती लोगों का आवागमन जारी था। जैसे तैसे रेल के चलने का समय हो गया। रेल का हार्न जोर से बजा और धीरे-धीरे छुक-छुक करती आगे बढ़ने लगी। कुछ लोग हमारी तरफ आशा भरी नजरों से देख रहे थे आप तो जा रहे हो हमारी गाड़ी कब आएगी। मेरी बगल की सीट पर एक बहुत ही वृद्ध व्यक्ति बैठे थे उनके हाथ में किताब थी जो वह उसे पढ़ रहे थे।

जब अधिकारी ने टिकट मांगा तो मैं अपनी जेब टटोलने लगा मेरी जेब में टिकट ना मिली तो मैं घबरा गया। फिर मैंने अपने बैग में ध्यान से देखा तो मुझे टिकट मिली और मैंने राहत भरी सांस ली।

रेल यात्रा के अनुभव मेरे लिए थोड़ा कष्टप्रद रहा क्योंकि लोगों की बहुत भीड़ थी।

सरकार को चाहिए कि रेलवे प्लेटफार्म पर अच्छी सी व्यवस्था करें ताकि लोगों को आने-जाने में परेशानी ना हो।

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