रिश्तो में हमारी भावना - शक्ति का बँट जाना विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजती हमारी बुद्धि की शक्ति को कमज़ोर करती है। पाठ में जीजी के प्रति लेखक की भावना के संदर्भ में इस कथन के औचित्य की समीक्षा कीजिए।
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रिश्तो में जब हमारी भावना - शक्ति का बँट जाती है तो वह विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजती हमारी बुद्धि की शक्ति को कमज़ोर करती है।
प्रस्तुत पाठ में जीजी लेखक को अपने बच्चों से अधिक प्यार करती थी । लेकिन इंद्रसेना पर जीजी द्वारा कहे जाने पर लेखक पानी नहीं फेंकता तो जीजी के मन पर बहुत ठेस लगती है। जीजी के बार-बार समझाने पर भी लेखक इस कार्य को अंधविश्वास ही कहता है और बार-बार जीजी की भावना को कुचलने का प्रयास करता है। यहां तक कि जीजी द्वारा किए गए तर्कों जैसे त्याग में ही दान का फल निहित है; दान को ऋषि-मुनियों ने सर्वोत्तम माना है ; पानी का अघ्र्य चढ़ाने पर इंद्र महाराज हमें बादलों से वर्षा देते हैं ; आदि बताने पर भी नहीं मानता। बार-बार जीजी की भावनाओं को आहत करके उनके तर्कों को नकारता हुआ अंधविश्वास और ढकोसला कहता रहता है। अतः यह सत्य है कि जब रिश्तो में हमारी भावना शक्ति बंट जाती है तो बुद्धि की शक्ति क्षीण हो जाती है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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Explanation:
लेखक अपनी जीजी से बहुत प्रेम करता है। वह उन पर विश्वास भी बहुत करता है लेकिन जब दीदी उसके मना करने पर भी इंदर सेना रूपी बच्चों पर घर का बचा पानी डाल देती है, तो वह परेशान हो जाता है। वह जीजी के इस कार्य को पसंद नहीं करता है। वह स्वयं ऐसा कार्य नहीं करता है और जीजी को भी ऐसा करने के लिए मना करता है। जीजी उसे ऐसे तर्क देती है कि वह हार जाता है। वह ऐसे कार्य तथा बातों को मानने के लिए विवश हो जाता है, जिस पर उसे स्वयं विश्वास नहीं है। अतः लेखक की इस दुविधा को दिखाने हेतु लेखक ने यह पंक्ति कही है।